Nota Loksabha Election 2024: क्या है Nota? क्यों हो रही है इसकी चर्चा?

Loksabha Election 2024: लोकतंत्र में चुनाव का महत्वपूर्ण स्थान होपता है। ऐसे में हर व्यस्क मतदाता अपने नेता का चुनाव खुद करता है। ऐसे में क्या हो जब उसे कोई भी पसंद न हो। इसीलिए नोटा को इंट्रोड्यूज किया गया था। इसके जरिए आप अपना मत किसी को नहीं देने का अधिकार रखते हैं। जानते हैं क्या है नोटा और पहली बार भारत में इसे कब लागू किया गया था।

क्या है नोटा ?

अगर आपको किसी राजनीतिक पार्टी का कोई उम्मीदवार पसंद नहीं आ रहा हो। तो आप उनमें से किसी को भी नहीं चुनने का अधिकार (Nota Loksabha Election 2024) रखते हैं। इसके लिए निर्वाचन आयोग Nota का बटन दबाने की सुविधा देता है। नोटा का मतलब ‘नन ऑफ द एबव’ होता है। इसे दबाने का मतलब होता है कि आपको चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट में से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है।

कौन होते हैं नोटा वोटर्स?

  • Nota से वोटर्स को वोटिंग के दौरान एक विकल्प मिलता है। जिसका मतलब होता है कि आपको कोई भी उम्मीदवार या विकल्प पसंद नहीं है।
  • चुनाव के दौरान मतदाता को अगर लगता है कि कोई भी उम्मीदवार योग्य नहीं है, तो वो Nota बटन दबा सकती है।
  • नोटा डेमोक्रेसी में एक आम नागरिक की असहमति का प्रतीक होता है।
  • नोटा देश के पॉलिटिकल सिस्टम में जागरूकता को बढ़ाने का काम करता है।
  • ऐसा माना जाता है कि नोटा विकल्प से लोकतंत्र मजबूत होता है, यह लोगों को अपनी राय रखने का एक और तरीका उपलब्ध करवाता है।
  • नोटा बदलाव की गारंटी नहीं है नोटा का इस्तेमाल करने से यह तय नहीं होता कि चीजें बदल ही जाएंगी।

नोटा का इतिहास

भारतीय निर्वाचन आयोग ने पहली बार दिसंबर 2013 में नोटा (Nota Loksabha Election 2024) की सुविधा दी थी। विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में इनमें से कोई नहीं या नोटा बटन का विकल्प पहली बार दिया गया था। वोटों की गिनती की समय नोटा पर डाले गए वोट की भी गिनती की जाती है। नोटा में कितने लोगों ने वोट किया, इसका भी आंकलन होता है। साल 2009 में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से नोटा का विकल्प देने संबंधी अधिकार से परिचित करवाया था। बाद में नागरिक अधिकार संगठन पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने भी नोटा के लिए अपनी याचिका दायर की थी। इस पर 2013 को न्यायालय ने मतदाताओं को नोटा का विकल्प देने का फैसला लिया था। हालांकि बाद में चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि नोटा (Nota Loksabha Election 2024) के मत गिने तो जाएंगे पर इसे रद्द मत माना जाएगा।

नोटा के लिए नियम

मतदान कानून 1961 का नियम 49-0 में इसका जिक्र है। इसके अनुसार “अगर कोई मतदाता वोट डालने जाता है और फॉर्म 17A में एंट्री के बाद नियम 49L के उप नियम (1) के तहत रजिस्टर पर अपने हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लगाता है। उसके बाद वोट दर्ज नहीं कराने का फैसला लिया जाता है। रजिस्टर में इसका रिकॉर्ड दर्ज किया जाता है।”

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Positive सार

जब नोटा की व्यवस्था देश में नहीं थी, तब चुनाव में मतदाता वोट नहीं करते थे। बिना वोट किए ही वो अपना विरोध दर्ज कराते थे। इस तरह बड़ी संख्या में मतदाताओं का वोट नष्ट हो जाता था। इसके समाधान के लिए नोटा (Nota Loksabha Election 2024) का विकल्प लाया गया ताकि चुनाव प्रक्रिया और राजनीति में शुचिता कायम किया जा सके। कुल मिलाकर भारतीय डेमोक्रेसी में नोटा एक महत्वपूर्ण अंग है। ये मतदाताा को असहमति दिखाने और बदलाव की मांग करने का अवसर प्रदान करता है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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