Modi’s Bhutan Visit: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो दिवसीय भूटान यात्रा भारत की “पड़ोसी प्रथम नीति (Neighbourhood First Policy)” को और मजबूत करती है। यह यात्रा सिर्फ औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि भारत-भूटान के बीच विश्वास, सहयोग और सांस्कृतिक जुड़ाव को नई दिशा देने का प्रतीक है।
थिम्पू में गर्मजोशी भरा स्वागत

प्रधानमंत्री मोदी का भूटान पहुंचने पर भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने गर्मजोशी से स्वागत किया। यह यात्रा उस समय हो रही है जब भूटान अपने चतुर्थ नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक का 70वां जन्मोत्सव मना रहा है। इस अवसर पर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने और ऊर्जा सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने पर चर्चा हुई।
यात्रा का सबसे प्रमुख आकर्षण रहा भारत और भूटान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित 1,020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन, जो दोनों देशों की ऊर्जा साझेदारी को और सशक्त बनाता है।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर कहा
“भूटान के लिए रवाना, जहां मैं विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लूंगा। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भूटान महामहिम चतुर्थ नरेश का 70वां जन्मदिन मना रहा है। हमारी यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में नई ऊर्जा भरेगी।”
Had the honour of inaugurating Kālacakra ‘Wheel of Time’ Empowerment with His Majesty Jigme Khesar Namgyel Wangchuck, the King of Bhutan and His Majesty The Fourth Druk Gyalpo. It was presided over by His Holiness the Je Khenpo which made it even more special. This is an… pic.twitter.com/H4ZOFvOkZn
— Narendra Modi (@narendramodi) November 12, 2025
आध्यात्मिक रिश्तों की नई झलक
इस यात्रा को और खास बनाता है उसका आध्यात्मिक पहलू। प्रधानमंत्री मोदी ने थिम्पू के ताशिछोद्ज़ोंग मठ में भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों के समक्ष प्रार्थना की। इन अवशेषों को भारत से भूटान भेजा गया है, जहां उन्हें वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव के दौरान प्रदर्शित किया जा रहा है।
यह आयोजन भूटान के चौथे नरेश की 70वीं जयंती के उपलक्ष्य में किया गया, जो दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को उजागर करता है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, “भारत और भूटान के बीच आध्यात्मिक जुड़ाव और जन-जन का संपर्क इस साझेदारी की सच्ची पहचान है।
भारत-भूटान संबंध

भारत और भूटान के संबंध दशकों पुराने विश्वास, सम्मान और आपसी सहयोग पर आधारित हैं। भारत भूटान की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाला पहला देश रहा है और उसके विकास में हमेशा सहयोगी भूमिका निभाता आया है।
भूटान की रणनीतिक स्थिति भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। चीन और भारत के बीच स्थित यह छोटा लेकिन अहम देश भारत की सुरक्षा नीति के लिए एक बफर ज़ोन का काम करता है। वर्ष 2017 के डोकलाम विवाद के दौरान भूटान ने भारत के साथ खड़े होकर अपने विश्वासपूर्ण संबंधों को और मजबूत किया था।
आर्थिक और विकास सहयोग का विस्तार
भूटान के लिए भारत सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, शिक्षा, सड़क और संपर्क जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग लगातार बढ़ रहा है।
यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने ऊर्जा, तकनीक, क्षमता निर्माण, रक्षा और पर्यावरणीय सहयोग पर विस्तृत चर्चा की।
भारत और भूटान की साझेदारी का एक नया अध्याय तब जुड़ा जब भारत ने घोषणा की कि वह दो सीमा-पार रेल परियोजनाएं शुरू करेगा। ये भूटान को असम और पश्चिम बंगाल से जोड़ेंगी। यह भूटान के लिए पहली रेल परियोजना होगी, जिससे पर्यटन और व्यापार में तेजी आएगी।
साझा मूल्यों और भविष्य की दिशा

भूटान का “ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस (Gross National Happiness)” का सिद्धांत और भारत का “सबका साथ, सबका विकास” का विजन एक समान भावना को दर्शाते हैं, समावेशी और सतत विकास की भावना।
भारत भूटान को नवीकरणीय ऊर्जा, वन संरक्षण और हरित विकास के क्षेत्रों में सहयोग दे रहा है। दोनों देश मिलकर कार्बन-न्यूट्रल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का चौथे नरेश के 70वें जन्मोत्सव में शामिल होना इस बात का प्रतीक है कि भारत और भूटान के संबंध सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और आध्यात्मिक भी हैं।
पड़ोसीपन की एक मिसाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूटान यात्रा ने यह साबित किया है कि भारत और भूटान के बीच की मित्रता हिमालय की तरह अडिग और ऊँची है। यह यात्रा न केवल विकास और सहयोग की दिशा में नई ऊर्जा भरती है, बल्कि इस बात की पुष्टि भी करती है कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ साझा विश्वास, शांति और समृद्धि के मार्ग पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत और भूटान की यह साझेदारी आने वाले वर्षों में दक्षिण एशिया में सहयोग, आध्यात्मिकता और स्थिरता की मिसाल बनेगी।
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