Mann Ki Baat 129th Episode: उपलब्धियों का वर्ष 2025 वर्ष 2025 के आखिरी रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 129वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। यह संबोधन केवल एक संवाद नहीं, बल्कि साल भर की उन उपलब्धियों का लेखा-जोखा था जिसने भारत को वैश्विक पटल पर एक नई शक्ति के रूप में स्थापित किया है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट संदेश दिया कि 2025 ने देश को जो आत्मविश्वास दिया है, वह 2026 में ‘विकसित भारत’ के संकल्प को सिद्ध करने का आधार बनेगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और राष्ट्रीय सुरक्षा
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक बन गया है। दुनिया ने इस साल देखा कि आज का भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करता। ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर देश में जो राष्ट्रभक्ति का जज्बा दिखा, वह ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के साथ और अधिक प्रखर होकर उभरा है। यह सैन्य अभियान भारत की अदम्य इच्छाशक्ति का परिचायक है।
पारंपरिक कलाओं का संरक्षण
प्रधानमंत्री ने समाज को सशक्त बनाने वाली महिलाओं की प्रेरक कहानियों को साझा किया। उन्होंने आंध्र प्रदेश के नारसापुरम के ‘लेस क्राफ्ट’ की चर्चा की, जिसे जीआई टैग (GI Tag) मिलने के बाद अब वैश्विक पहचान मिल रही है। इस शिल्प से 1 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। इसके अलावा, मणिपुर के चुराचांदपुर की मारग्रेट रामथरसेम और सेनापति जिले की चोखोने क्रिचेना का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे हस्तशिल्प और फूलों की खेती के जरिए उत्तर-पूर्वी राज्यों की महिलाएं आर्थिक आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश कर रही हैं।
स्वास्थ्य के प्रति चेतावनी
संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने एक गंभीर स्वास्थ्य मुद्दे पर देश का ध्यान आकर्षित किया। आईसीएमआर (ICMR) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने एंटीबायोटिक दवाओं के बिना सोचे-समझे सेवन पर आगाह किया। उन्होंने कहा कि निमोनिया और यूटीआई जैसी बीमारियों पर अब दवाएं बेअसर हो रही हैं। प्रधानमंत्री ने नागरिकों से अपील की कि वे डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा न लें, क्योंकि यह लापरवाही भविष्य में बड़े संकट का कारण बन सकती है। उन्होंने ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ पर जोर देते हुए सर्दियों में नियमित व्यायाम करने की भी सलाह दी।
विरासत और नई तकनीक का संगम
प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के बारामूला में बौद्ध स्तूपों के अवशेष मिलने और कच्छ के रणोत्सव की सफलता का जिक्र करते हुए भारत की सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने खुशी जताई कि आज की युवा पीढ़ी तकनीक के साथ-साथ अपनी संस्कृति की जड़ों को भी सहेज रही है। आईआईएससी (IISc) के ‘गीतांजलि’ संगीत वर्ग और दुबई की ‘कन्नड़ पाठशाला’ इसका जीवंत उदाहरण हैं। युवाओं के लिए उन्होंने ‘स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन’ और ‘यंग लीडर डायलॉग’ जैसे मंचों की सराहना की, जहाँ नए आइडिया एक्शन में बदल रहे हैं।
खेलों और विज्ञान में स्वर्णिम छलांग
साल 2025 खेल और विज्ञान के लिए भी ऐतिहासिक रहा। प्रधानमंत्री ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में पुरुष टीम की जीत, महिला टीम के वर्ल्ड कप विजय और पैरा एथलीटों के शानदार प्रदर्शन को याद किया। अंतरिक्ष के क्षेत्र में ग्रुप कैप्टन सुभांशु शुक्ला की आईएसएस (ISS) तक की यात्रा को उन्होंने ‘न्यू इंडिया’ की बुलंद तस्वीर बताया।
Positive Takeaway
2026 की ओर बढ़ते कदम प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन वर्ष 2026 की शुभकामनाओं के साथ किया। उन्होंने कहा कि 2025 ने हमें आत्मविश्वास दिया है और 2026 उस संकल्प सिद्धि की यात्रा का अहम पड़ाव होगा। उन्होंने नागरिकों से ‘वोकल फॉर लोकल’ का मंत्र जारी रखने और स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देने की अपील की। 22 भाषाओं और 29 बोलियों में प्रसारित होने वाला यह कार्यक्रम एक बार फिर देश को एकता के सूत्र में पिरो गया।

