Man Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भारत में संवाद और प्रेरणा का प्रमुख माध्यम बन गया है। 2014 में विजयादशमी के दिन शुरू हुए इस कार्यक्रम ने न केवल देश के जनमानस को जोड़ा, बल्कि ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों की कहानियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच तक पहुँचाया। इसी कड़ी में, प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में ‘मन की बात’ के 117वें एपिसोड में छत्तीसगढ़ के बस्तर ओलंपिक-2024 का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने इसे विकास, खेल, और सामूहिक प्रयासों का प्रतीक बताया।
छत्तीसगढ़: शांति और विकास का नया अध्याय
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र का जिक्र आते ही अक्सर नक्सलवाद और हिंसा की घटनाएँ मन में उभरती थीं। लेकिन अब यह तस्वीर तेजी से बदल रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि बस्तर, जो कभी हिंसा और अस्थिरता का गढ़ माना जाता था, आज खेल और विकास का पर्याय बन रहा है।
बस्तर ओलंपिक (Bastar Olympic) के आयोजन को उन्होंने इस बदलाव का जीवंत उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “यह आयोजन न केवल बस्तर की संस्कृति को उजागर करता है, बल्कि यह शांति और प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।” इस आयोजन ने 1.65 लाख प्रतिभागियों को एक मंच पर लाकर सामूहिक प्रयास की शक्ति को दिखाया।
बस्तर ओलंपिक: खेल-संस्कृति का संगम
प्रधानमंत्री मोदी ने बस्तर ओलंपिक को एक अनूठा आयोजन बताया, जिसमें न केवल खेलों को बढ़ावा दिया गया, बल्कि इसे क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति से भी जोड़ा गया। ‘करसाय ता बस्तर, बरसाय ता बस्तर’ (खेलेगा बस्तर, जीतेगा बस्तर) जैसे मंत्र ने इस आयोजन की आत्मा को उजागर किया।
शुभंकर ‘वनभैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’ ने इस आयोजन को बस्तर की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ा। एथलेटिक्स, तीरंदाजी, हॉकी, और कबड्डी जैसे खेलों में युवाओं की भागीदारी ने यह दिखा दिया कि बस्तर के लोग न केवल हुनरमंद हैं, बल्कि नई ऊँचाइयों को छूने के लिए तैयार भी हैं।
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प्रेरक कहानियाँ: नए भारत की झलक
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में बस्तर ओलंपिक के प्रतिभागियों की कहानियों का भी जिक्र किया, जो हर भारतीय के लिए प्रेरणा बन सकती हैं।
- कारी कश्यप: तीरंदाजी में रजत पदक जीतने वाली कारी ने बताया कि यह ओलंपिक न केवल खेल का मैदान देता है, बल्कि जीवन में आगे बढ़ने का हौसला भी देता है।
- पायल कवासी: सुकमा की पायल ने जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर यह साबित कर दिया कि अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
- पुनेम सन्ना: कभी नक्सलवाद से प्रभावित रहे पुनेम अब व्हीलचेयर दौड़ में मेडल जीत रहे हैं। उनका साहस नए भारत की कहानी कहता है।
- रंजू सोरी: कोंडागांव के रंजू सोरी को ‘बस्तर यूथ आइकॉन’ चुना गया। उनका मानना है कि यह आयोजन दूरदराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुँचने का अवसर दे रहा है।
छत्तीसगढ़ के लिए नई संभावनाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट किया कि बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन केवल खेल की भावना को बढ़ावा देने तक सीमित नहीं हैं। ये आयोजन क्षेत्रीय विकास, सांस्कृतिक समृद्धि, और सामूहिक प्रयासों का भी प्रतीक हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी इस आयोजन को प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और प्रेरणा का परिणाम बताया।
अब बस्तर में बंदूक की आवाज नहीं, खेलों का शोर सुनाई देता है। यह आयोजन न केवल क्षेत्र के युवाओं को प्रेरित कर रहा है, बल्कि पूरे देश को यह संदेश भी दे रहा है कि सामूहिक प्रयासों से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है।
खेल से शांति और प्रगति की ओर
बस्तर ओलंपिक ने यह साबित कर दिया है कि खेल केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि शांति, विकास, और सामूहिकता का माध्यम भी हो सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश कि “ऐसे आयोजनों को प्रोत्साहित करें”, हर राज्य के लिए एक प्रेरणा है।
मन की बात: संवाद का सशक्त माध्यम
2014 में शुरू हुए ‘मन की बात’ कार्यक्रम ने अब तक लाखों भारतीयों को प्रेरित किया है। इसका उद्देश्य न केवल शासन से जुड़े मुद्दों पर जनता से संवाद करना है, बल्कि समाज के सकारात्मक पहलुओं को उजागर करना भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने रेडियो के माध्यम को इसलिए चुना, ताकि यह संदेश उन दूरदराज के क्षेत्रों तक भी पहुँचे, जहाँ टेलीविजन या इंटरनेट की पहुँच नहीं है।
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‘मन की बात’ ने लोगों को अपनी कहानियाँ साझा करने का एक मंच दिया है। हर महीने प्रधानमंत्री के साथ संवाद करने का यह माध्यम न केवल एकतरफा प्रसारण है, बल्कि यह समाज के विभिन्न हिस्सों से आने वाली प्रेरणादायक कहानियों को सबके सामने लाता है।