In the Undulating Terrain: मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सली खत्म होंगे”, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इन शब्दों में केवल राजनीतिक बयान नहीं था, बल्कि एक संकल्प था जो अब यथार्थ बनता जा रहा है। इसका सबसे प्रबल उदाहरण बना कोरगुटालू हिल्स। जहां पहले नक्सली आतंक की गूंज सुनाई देती थी, अब शांति और सुरक्षा का वातावरण है।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर और तेलंगाना के मुलुगु जिलों की सीमा पर स्थित कोरगुटालू हिल्स, जिसे काली पहाड़ी या ब्लैक हिल्स के नाम से भी जाना जाता है, प्राकृतिक सौंदर्य का एक दुर्लभ उदाहरण है। यहां के घने जंगल, जलप्रपात, गुफाएं और दुर्गम पहाड़ इस क्षेत्र को रोमांचक तो बनाते हैं, लेकिन वर्षों तक यह इलाका नक्सलियों का सुरक्षित गढ़ बना रहा।
प्राकृतिक किले में आतंक की रणनीति
इस क्षेत्र की 700 से 900 मीटर ऊँची पर्वत श्रृंखलाएं, 250 से अधिक गुफाएं और सीमित संचार नेटवर्क ने इसे नक्सलियों के लिए एक आदर्श पनाहगाह बना दिया था। नक्सली यहां न केवल अपने ट्रेनिंग कैंप, हथियार कारखाने और गुप्त अस्पताल चलाते थे, बल्कि इसे पूरे बस्तर क्षेत्र में आतंक फैलाने के मुख्य केंद्र के रूप में उपयोग करते थे।
यहां की खड़ी चढ़ाइयाँ, चिकन नेक जैसे मार्ग, और गहरी घाटियाँ इसे सुरक्षा बलों के लिए भीषण चुनौती बना देती थीं। नक्सलियों को लगता था कि यह डॉमिनेटिंग हाइट्स उन्हें अजेय बना देगी।
एक समन्वित सैन्य पराक्रम
21 अप्रैल से 11 मई 2025 तक, DRG, STF, कोबरा और CRPF के जवानों ने एक असाधारण समन्वय और तैयारी के साथ एक संयुक्त अभियान चलाया। यह भारत के नक्सल विरोधी अभियानों में अब तक का सबसे बड़ा और सबसे जटिल ऑपरेशन था, जो बिना किसी सुरक्षा बल की शहादत के सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
अभियान की रणनीतिक योजना में इस इलाके की भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों का गहन अध्ययन किया गया। लगभग 400 माओवादियों के मौजूद होने की जानकारी थी, जिनमें 40-50% महिलाएं भी शामिल थीं। इसके बावजूद, सुरक्षा बलों ने पहाड़ी की प्रत्येक चोटी को सैनिटाइज किया।
प्रकृति और आतंक दोनों से युद्ध
इस अभियान को एक युद्ध कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। 45 डिग्री तापमान, गर्म चट्टानों की चढ़ाई, बारिश, बिजली गिरने का खतरा, जंगली जानवरों से मुठभेड़ और चारों ओर बिछे IED यह सब कुछ सुरक्षा बलों के धैर्य और साहस की परीक्षा ले रहे थे। लेकिन न उनकी हिम्मत टूटी, न ही उनका संकल्प डिगा।
नक्सली रणनीति का अंत
सुरक्षा बलों ने इस ऑपरेशन में नक्सलियों के बनाए 150 से अधिक बंकरों, 450 से अधिक IEDs, और 2 टन से अधिक विस्फोटकों का पता लगाया और उन्हें नष्ट किया। 9 टन से अधिक रसद सामग्री, चार हथियार फैक्ट्रियां, और हजारों टन खाद्य सामग्री बरामद की गई, जिसे नक्सलियों ने 1.5-2 सालों के लिए स्टॉक कर रखा था। 31 नक्सली मारे गए।
नक्सलियों ने इस क्षेत्र में इंटरनेशनल बॉर्डर जैसी माइनिंग की थी, ताकि कोई भी बल यहां तक न पहुंच सके। लेकिन यह योजना सुरक्षा बलों के साहस और रणनीति के सामने असफल हो गई।
एक बदलाव की शुरुआत
यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था, यह एक उदाहरण है उस संकल्प का जो राज्य और केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जब सुरक्षाबलों का समर्पण, शौर्य और धैर्य साथ हो, तो कोई भी दुर्गम इलाका जीतना नामुमकिन नहीं होता।
इस अभियान ने न सिर्फ कोरगुटालू हिल्स को नक्सलमुक्त किया, बल्कि यह भी प्रमाणित कर दिया कि अब बस्तर की धरती पर नया सवेरा हो चुका है, “बस्तर की नई सुबह।”