BRICS 2025: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2 से 9 जुलाई तक पांच देशों की यात्रा पर रहेंगे , घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया। इस यात्रा की खास बात यह है कि यह सिर्फ द्विपक्षीय संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक सशक्तिकरण नीति का एक रणनीतिक कदम भी है। इस दौरे का सबसे अहम पड़ाव होगा ब्राजील, जहां प्रधानमंत्री 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
भारत की भूमिका तय
ब्रिक्स (Brazil, Russia, India, China, South Africa) अब एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन चुका है जो ग्लोबल साउथ की आवाज को मज़बूती से सामने ला रहा है। इस बार का शिखर सम्मेलन ब्राजील के रियो में हो रहा है और इसकी थीम है,
“Inclusive and Sustainable Governance through South-South Cooperation.”
इस बार पीएम मोदी सिर्फ प्रतिनिधि नहीं, बल्कि भारत के अगले साल ब्रिक्स अध्यक्ष बनने के लिए एक अहम तैयारी के रूप में हिस्सा लेंगे।
नए सदस्य, नई दिशा
2024 में ब्रिक्स में मिस्र, इथियोपिया, ईरान और UAE को शामिल किया गया। यह विस्तार न केवल संगठन की पहुंच को बढ़ा रहा है, बल्कि इसे G7 के विकल्प के रूप में भी देखा जाने लगा है। हालांकि, ब्रिक्स सदस्य देश अब भी डॉलर आधारित वैश्विक वित्तीय प्रणाली के दबाव में हैं।
ब्रिक्स बैंक (New Development Bank) की अध्यक्षता ब्राजील की पूर्व राष्ट्रपति डिलमा रूसेफ कर रही हैं, और अब इसका फोकस क्लाइमेट फाइनेंसिंग की ओर है।
भारत की प्राथमिकताएं क्या होंगी?
भारत की ओर से इस सम्मेलन में स्थानीय मुद्राओं में ट्रेड, तकनीकी साझेदारी, ऊर्जा सहयोग और विकासशील देशों की आवाज को बढ़ाने पर फोकस रहने की उम्मीद है। पीएम मोदी की उपस्थिति एक तरफ आर्थिक एजेंडा को मजबूत करेगी तो दूसरी तरफ जियो-पॉलिटिकल संतुलन को भी आकार देगी।
भारतीय विरासत का सम्मान
पीएम मोदी 3-4 जुलाई को त्रिनिदाद और टोबैगो जाएंगे, जहां भारतीय मूल के लोगों के आगमन की 180वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। वहां की राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों भारतीय मूल की महिलाएं हैं और दोनों ही पेशे से अधिवक्ता हैं। यह यात्रा भारतीय डायस्पोरा के साथ भारत के रिश्तों को और मजबूत करने का प्रयास है।
अर्जेंटीना के साथ रणनीतिक साझेदारी
4-5 जुलाई को पीएम मोदी अर्जेंटीना की यात्रा करेंगे, जहां वे राष्ट्रपति जेवियर मिलेई से मिलेंगे। मुख्य चर्चा रक्षा, ऊर्जा, खनन और व्यापार में सहयोग को लेकर होगी। अर्जेंटीना को पहले ब्रिक्स में आमंत्रण मिला था, लेकिन वर्तमान राष्ट्रपति के इनकार के बाद देश ने दूरी बनाई। अब यह यात्रा दोनों देशों के बीच नई रणनीतिक सोच को रेखांकित करेगी।
नामीबिया यात्रा
9 जुलाई को नामीबिया की यात्रा भारत की अफ्रीका नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा होगी। पीएम मोदी नामीबिया के राष्ट्रपति नेतुम्बो नांदी-नदैतवाह से मिलेंगे और वहां की संसद को संबोधित करेंगे। साथ ही वे स्वतंत्रता सेनानी सैम नुजोमा को श्रद्धांजलि भी अर्पित करेंगे। यह यात्रा भारत और नामीबिया के आर्थिक सहयोग को भी नई दिशा दे सकती है।
भारत की पोजिशनिंग
पश्चिमी देशों की मोनोपॉली को तोड़ने के लिए ब्रिक्स एक बहु-ध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था (multi-polar global order) की बात करता है। भारत इस व्यवस्था में मध्यस्थ और सेतु की भूमिका निभा रहा है, जो अमेरिका और चीन जैसे ध्रुवों के बीच संतुलन बनाए रखने का काम कर सकता है।
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भारत की वैश्विक पहचान का विस्तार
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा कई स्तरों पर अहम है, डायस्पोरा कनेक्शन, रणनीतिक साझेदारी, वैश्विक मंचों पर भागीदारी और आर्थिक जुड़ाव। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन इस यात्रा का केंद्र है, लेकिन इसके चारों ओर भारत का बढ़ता प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।