Aseem Kumar Ghosh: कौन हैं हरियाणा के नए राज्यपाल घोष?

Aseem Kumar Ghosh: हरियाणा के 19वें राज्यपाल के रूप में प्रो. असीम कुमार घोष की नियुक्ति हुई है। वे बंडारू दत्तात्रेय की जगह यह जिम्मेदारी संभालेंगे, जिन्होंने चार साल से अधिक वक्त तक राज्यपाल पद पर काम किया। असीम घोष एक वरिष्ठ शिक्षाविद, पूर्व भाजपा नेता, और बुद्धिजीवी चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। वे अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी रहे हैं और पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

राजनीति और शिक्षा की मजबूत जड़ें

प्रो. असीम घोष राजनीति में आने से पहले कोलकाता के मनिंद्र चंद कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर थे। उनकी पहचान एक बौद्धिक विचारक और संघ से जुड़े कार्यकर्ता के रूप में रही है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में भाजपा की नींव मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।

वाजपेयी के भरोसेमंद नेता

असीम घोष को राजनीति में लाने का श्रेय जाता है तपन सिकदर को, जो वाजपेयी कैबिनेट में मंत्री थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने असीम की कार्यशैली और विचारधारा को देखते हुए उन्हें भाजपा की बंगाल इकाई की कमान सौंपी थी। वे 1999 से 2002 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे और पार्टी की नीतियों को धार देने का काम किया।

चुनाव और सक्रिय राजनीति

असीम घोष ने 2013 में हावड़ा लोकसभा सीट से उपचुनाव भी लड़ा था, जो तृणमूल कांग्रेस की अंबिका बनर्जी के निधन के बाद खाली हुई थी। हालांकि वे यह चुनाव हार गए, लेकिन पार्टी में उनका प्रभाव बना रहा और वे मार्गदर्शक मंडल में सक्रिय रहे।

हरियाणा में नई शुरुआत

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, और कई वरिष्ठ नेताओं ने असीम घोष की नियुक्ति का स्वागत करते हुए कहा कि उनका अनुभव राज्य के समग्र विकास में सहायक होगा। घोष ऐसे समय में जिम्मेदारी संभाल रहे हैं जब प्रदेश राजनीतिक और प्रशासनिक बदलावों से गुजर रहा है।

कार्यकाल और खासियतें

78 वर्षीय बंडारू दत्तात्रेय ने 7 जुलाई 2021 को राज्यपाल पद संभाला था और वे कुल चार साल, छह दिन तक इस पद पर रहे। उनके कार्यकाल में कई बड़े राजनीतिक घटनाक्रम हुए जैसे जजपा का समर्थन वापसी, मंत्रिमंडल का इस्तीफा, और नायब सिंह सैनी सरकार का गठन।

उन्होंने राज्यपाल की पारंपरिक भूमिका से आगे जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, प्रशासनिक बैठकों में भाग लिया, और सरकारी योजनाओं की समीक्षा भी की।

हरियाणा में राज्यपालों का इतिहास

  • सबसे लंबा कार्यकाल- बीरेंद्र नारायण चक्रवर्ती, 8 साल 6 महीने
  • सबसे छोटा कार्यकाल- ओम प्रकाश वर्मा, सिर्फ 6 दिन (कार्यवाहक राज्यपाल)
  • सबसे हालिया सक्रिय कार्यकाल- बंडारू दत्तात्रेय, 2021 से 2025

बंगाल से हरियाणा

पश्चिम बंगाल की विचारधारा, जहां वामपंथ और क्षेत्रीय दलों का बोलबाला रहा है, वहाँ से एक राष्ट्रवादी शिक्षाविद का हरियाणा जैसे राज्य में राज्यपाल बनना एक खास संदेश देता है। असीम घोष का अनुभव, सादगी और वैचारिक स्पष्टता राज्य की राजनीतिक संस्कृति में नया अध्याय जोड़ सकती है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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