जरा सोचिए कैसी होती है आपकी दुनिया यदि आपके जीवन के फैसले कोई और ले रहा होता। आप क्या खाएंगे? क्या पहनेगी? कहां रहेंगे? और यहां तक आप कितना बोलेंगे? इसका भी अधिकार आपके पास नही होता।
सही सोचा आपने जिंदगी गुलामों जैसी होती और हम शासकों को रहमों करम पर जी रहे होते। पर आज हम आजाद है और अपने भाग्य के निर्माता स्वयं है। हमारे पास अधिकार, अपना नेता चुनाव करने की शक्ति है, हमारे पास शासकों की शक्तियों को मर्यादित करने वाला संविधान है। ये सब संभव किया लोकतंत्र ने।
लोकतंत्र का अर्थ
लोकतंत्र का आखिर क्या मतलब है? लोकतंत्र में एक आम इंसान के पास क्या-क्या शक्तियां होती है और कैसे लोकतंत्र से हमारे भाग्य का निर्माण होता है आइए जानते है।लोकतंत्र जिसके पर्याय जनतंत्र, गणतंत्र, प्रजातंत्र, लोकशाही आदि है अंग्रेजी में इसे डेमोक्रेसी कहते है।लोकतंत्र के बारे में सबसे प्रसिद्ध कथन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के है जिसके जरिए लोकतंत्र को आसानी से समझा जा सकता है वे कहते हैं
“Democracy is a government of the people, by the people and for the people'”
“यानी प्रजातंत्र, जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए शान है।”
लोकतंत्र एक ऐसा विचार या साधन है जिसके जरिए किसी देश की शासन व्यवस्था को चलाया जाता है। किसी देश की विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और अन्य संस्थाएं किस प्रकार चलेंगी इसका निर्धारण प्रजातंत्र से ही होता है।
भारत में 18वें लोकसभा का चुनाव शीघ्र संपन्न होने जा रहा है। ऐसे में हम आपको बताना चाहेंगे लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता है अंतिम रूप से निर्णय लेने की शक्ति यानी Decison Making Power जनता द्वारा चुने व्यक्तियों के पास होना। अर्थात जनता के पास मतदान करने की शक्ति होना ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता है।
लोकतंत्र के अनिवार्य पहलु
आइए अब चर्चा करते है उन अनिवार्य पहलुओं पर जो लोकतांत्रिक व्यवस्था में अनिवार्य रूप से होते हैं। इसमें से पहला है:
1.Rule of law (यानी कानून का शासन)
2.Everyone is equal before the law. (यानी कानून सभी के लिए समान है)
3.Universal voting right (यानी सभी को अपने मत का प्रयोग करने की शक्ति)
4.Representation of Minorities. (यानी अल्पसंख्यकों का भी प्रतिनिधित्व)
5.Freedom of Speech, Expression, and Choice. (यानी सभी को बोलने, अभिव्यक्त करने और चुनने की आजादी हो)
6.Right to Education. (यानी शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार)
7.Independent Judiciary. (यानी स्वतंत्र न्यायपालिका)
8.Right to Form Association and Union. (यानी संगठन और संघ बनाने की स्वतंत्रता)
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा भारत को दुनिया में जनतंत्र की जननी कहा जाता है। छटी शताब्दी ईस्वी पूर्व में भारत में कई गणराज्य जैसे कपिलवस्तु, अल्कप्पा, विदेह, आकार ले चुके थे। जिससे प्रेरणा लेकर आधुनिक लोकतंत्र का पहला स्वरूप ब्रिटेन ने अपनाया।
हम भारतीय है सदियों तक गुलामी के जंजीरों में जकड़े थे इसलिए लोकतंत्र का स्वाद हमसे ज्यादा कोई और महसूस नहीं कर सकता।
आपने नेताओं को अक्सर यह कहते सुना होगा “जनता ही मालिक है”
लोकतंत्र में यही सत्य भी है। लोकतंत्र में जनता सर्वशक्तिमान है जनता जिसे भी चाहे अपना नेता बनकर लोकसभा और विधानसभा में भेज सकती है। जिसे चाहे 5 वर्षों बाद सत्ता से बेदखल कर सकती है।
लोकतंत्र ही हमे व्यवस्था उपलब्ध कराता है जिस मजदूर का बेटा मंत्री बन सकता है और अखबार बेचने वाला भी राष्ट्रपति। हम संगठित होकर सरकार के फैसले बदल सकते है तो उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाकर अपने भाग्य भी बदल सकते है। महिलाएं नई मंजिल तय कर सकती है तो गरीब भी अमीर से आंख मिलाकर बात कर सकता है।
मशहूर यूनानी विचारक अरस्तू ने कहा था
“लोकतंत्र में गरीबों के पास अमीरों की तुलना में अधिक शक्ति होगी, क्योंकि वे संख्या में अधिक होंगे और बहुमत की इच्छा सर्वोपरि होगी।” यह भी लोकतंत्र का एक एक रोचक पहलू है।
15 अगस्त 1947 को भारतवासियों ने Tryst With Destiny भाषण के साथ न केवल भाग्य से से साक्षात्कार किया बल्कि अपने भाग्य निर्माण का रास्ता भी तैयार कर लिया।
भारत में लोकतंत्र के चारों पिलर्स विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं मीडिया इतनी सशक्त है कि आज भारत दुनिया की प्रतिभा का पुंज बना हुआ है, हमारे लोकतंत्र का लोहा पूरी दुनिया मानती है। आज जरूरत है हम सभी लोकतंत्र के सजग प्रहरी बनकर इसे समृद्ध करे।
भारत पर्व के इस एपिसोड में बस इतना ही मिलते है अगले एपिसोड में एक और महत्वपूर्ण और रोचक विषय के साथ। तब तक के लिए नमस्कार
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