इंसान पैदा भले ही कितनी ही खराब परिस्थिति में हो लेकिन वो अपनी जिंदगी को बदलना चाहे तो मुश्किल नहीं। हर व्यक्ति अपने अच्छे जीवन की नींव खुद तैयार करता है। मजबूत इच्छाशक्ति और मेहनत से इंसान हर वो सफलता प्राप्त कर लेता है जिसकी वो चाह रखता है। ऐसी ही एक प्रेरणादायी कहानी है डॉ जुलेखा दाऊद की जिनका बचपन गरीबी और संघर्ष में बीता लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से अपना मुकाम हासिल किया आज वे भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक प्रतिष्ठित डॉक्टर है और खास बात ये है कि वे के बीच देश से निकलकर परदेस में नाम कमाया और आज वो दुबई की सबसे अमीर भारतीय महिलाओं में से एक हैं।
पिता करते थे मजदूरी
84 वर्षीय डॉ. ज़ुलेखा दाउद का जन्म महाराष्ट्र के एक बेहद गरीब परिवार में हुआ। उनके पिता दिहाड़ी मजदूरी कर के जैसे तैसे परिवार को पाल रहे थे। लेकिन जुलेखा जानती थीं कि उन्हें हालात बदलने है। वो ये भी जानती थी कि गरीबी को सिर्फ शिक्षा से हराया जा सकता है इसीलिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की। परिवार की आर्थिक तंगी और मुश्किल वक्त के बीच भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।
उनकी मेहनत का नतीजा था कि उन्हें गर्वंमेंट मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिला। डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1964 में वो यूएई चली गईं। डॉ जुलेखा के बारे में एक खास बात ये भी है कि वह पहली भारतीय डॉक्टर बनीं जिन्होंने यूएई में मेडिसिन की प्रैक्टिस की शुरूआत की। अपने पेशे से उन्होंने लोगों की सेवा की और नाम कमाया। डॉ जुलेखा दाऊद दुबई में अब तक 10,000 बच्चों की डिलीवरी करा चुकी हैं।
खोला खुद का हॉस्पीटल
जुलेखा दाऊद ने 60 साल पहले दुबई में अपने मेडिकल करियर की शुरुआत की। ये वो समय था जब वहां मेडिकल सेक्टर में ज्यादा सुविधाएं और तकनीक नहीं हुआ करते थे। इस बात को ध्यान में रखते हुए डॉ जुलेखा दाऊद ने 1992 में जुलेखा हॉस्पिटल ग्रुप की शुरुआत की ताकि लोगों को बेहतर हेल्थकेयर सुविधाएं मिले। आज 84 साल की उम्र की डॉ जुलेखा दाऊद, जुलेखा हॉस्पिटल ग्रुप की प्रमुख हैं। साल 2019 में डॉ जुलेखा दाऊद को प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार दिया गया। हाल ही में डॉ जुलेखा दाऊद को फोर्ब्स ने मिडिल ईस्ट की टॉप 100 की लिस्ट में शामिल किया था।