कहते हैं एक शिक्षक पूरी समाज की परिकल्पना को तय करता है।
और इस बात को चरितार्थ कर रहे हैं तमिलनाडु के 2 शिक्षक। तिरुपुर जिले में उडुमलाई
के लिंगमवुर में सरकारी जनजातीय आवासीय प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक एम
पांडी और एस अय्यप्पन की कोशिशों ने आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों की पढ़ाई को जारी
रखा है।
इन शिक्षकों के लिए इन आदिवासी बच्चों को पढ़ाना इतना आसान
भी नहीं है। यह शिक्षक पहले ट्रैक कर थिरुमूर्ति हिल्स के पास तलहटी को पार करते
हैं फिर 6 किमी पैदल चलकर आदिवासी बस्ती तक पहुंचते हैं। जहां मुख्य रुप से पुलयार
और मुथुवन जनजातियाँ निवास करती हैं। बरसात के दिनों में तो यह रास्ता और भी
परेशानी भरा होता है। गर्मियों में पांडी और अय्यप्पन चिलचिलती धूप से बचने के लिए एक स्कूल सहायक
के साथ सुबह 6 बजे के आसपास एसल थट्टू की यात्रा शुरू करते हैं। इन शिक्षकों का कहना है– “कि
भले ही यहां पहुंचने की परेशानिया कितनी ही हो पर हमारे लिए यह काफी है कि इन
बच्चों की पढ़ाई रुकनी नहीं चाहिए। “

