Sushma Swaraj Birth Anniversary: एक बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने उनके बारे में लिखते हुए कहा था- “India’s best-loved politician” ये सिर्फ किसी अखबार की बात नहीं है बल्कि विरोधी दल भी उनके मुरीद थे। हम बात कर रहे हैं भारत की सबसे कम उम्र की पहली महिला मंत्री और प्रखर वक्ता व कुशल राजनेता कहलाने वाली सुषमा स्वराज की। जिनकी साफ-सुथरी छवि और सशक्त महिला राजनेता की भूमिका ने आने वाली पीढ़ियों के लिए राजनीति की राहें खोल दी। उनकी जन्मतिथी पर उन्हें याद करते हुए जानेंगे कुछ दिलचस्प बातें जो उन्हें सबसे अलग और सबसे खास बनाती है….
सुषमा स्वराज का जीवन
14 फरवरी 1952 को अंबाला कैंट में सुषमा स्वराज का जन्म हुआ। चूंकि उनके पति का नाम स्वराज कौशल है, इसलिए उन्होंने अपने नाम के पीछे उनका ही नाम लगा लिया। उन्होंने सनातन धर्म कालेज, अंबाला कैंट और पंजाब यूनिवर्सिटी से अपनी डिग्री ली थी। 6 अगस्त 2019 को कार्डियक अरेस्ट से उनका निधन हो गया। उन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 2014-2019 तक विदेश मंत्री के रूप में सफल जिम्मेदारी निभाई। उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है।
सुषमा स्वराज ने शादी के बाद अपने पति का सरनेम नहीं अपनाया, लेकिन पति के नाम को ही अपना सरनेम बना लिया था। स्वराज कौशल उनके पति का नाम है। इस कदम से उन्होंने अपने स्वावलंबन और पति के प्रति प्रेम दोनों गुण को दिखाया।
सुषमा स्वराज की राजनीतिक उपलब्धि
Sushma Swaraj की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके विरोधी भी कभी उनके लिए कोई बुरी बात नहीं कहते थे। वो 7 बार संसद की सदस्य के तौर पर चुनी गईं। इसके साथ ही उन्हें उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार का सम्मान भी दिया गया। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1996 में सुषमा स्वराज सूचना और प्रसारण मंत्री के तौर पर चुनी गई। 1998 में केंद्रीय मंत्रिमंडल को छोड़कर उन्होंने दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने की जिम्मेदारी निभाई। Sushma Swaraj के बोलने के कौशल के कारण लगातार तीन साल तक राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ हिंदी स्पीकर का पुरस्कार भी दिया गया।
सुषमा स्वराज की खास बातें
- 13 अक्टूबर 1998 को सुषमा स्वराज दिल्ली की पांचवीं और पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। सिर्फ 25 साल की उम्र में ही वह देश की सबसे कम उम्र की मंत्री बनीं थीं।
- सुषमा स्वराज भारत की किसी भी राजनीति दल की पहली महिला प्रवक्ता बनीं। उनसे पहले बहुत कम ही महिलाएं राजनीति में जाती थीं।
- सुषमा स्वराज की वजह से ही 15 साल पहले पाकिस्तान पहुंची गीता को भारत वापस लाया गया।
- मध्यप्रदेश से उनका खास नाता रहा, यहां के लोग उन्हें दीदी और ताई कहकर बुलाते थे। साल 2008 से Sushma Swaraj मध्य प्रदेश के भोपाल में ही रहने लगी थीं।
- Sushma Swaraj की याददाश्त काफी अच्छी थी, उन्हें अपने कार्यकर्ताओं के नाम मुंहजुबानी याद होते थे। कहा जाता है कि जब वे विदिशा चुनाव लड़ी रही थीं तो उन्हें बहुत ही कम समय में ही एक-एक कार्यकर्ता के नाम याद हो गए थे।
- देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में एक वकील के तौर पर उन्होंने अपनी प्रैक्टिस शुरू की थी।
- उन्हें सुपरमाम ऑफ इंडिया कहा जाता है। दरअसल Sushma Swaraj को ये नाम वाशिंगटन पोस्ट ने दिया था। इसका कारण यह है कि उन्होंने विदेश मंत्री के रूप में अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान 186 देशों में फंसे 90 हजार से अधिक भारतीयों को भारत वापस लाने में मदद की थी।
- Sushma Swaraj ने विदेश मंत्री रहते हुए काफी काम किया। वो विदेश में संकट में फंसे भारतीयों की हमेशा मदद करती थीं। सोशल मीडिया पर वो काफी सक्रिय रहती थीं। ट्विटर पर लोग उन्हें टैगकर अपनी समस्याएं बताते थे, जिन पर वो तुरंत काम करती थीं।
Positive सार
Sushma Swaraj एक प्रेरणा थीं जो सदैव लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी। अलग-अलग जिम्मेदारियों के साथ उन्होंने काफी प्रभाव छोड़ने वाले काम किए। विदेश मंत्री रहने के दौरान उन्होंने जो काम किया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। चाहे देश हो या विदेश, उन्होंने मदद मांगने वालों को कभी भी निराश नहीं किया। उनके व्यक्तित्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विरोधी दलों के नेता भी उनके प्रशंसक थे। उनके ओजस्वी भाषणों को जो एक बार सुनता तो वह सुनता ही रहता। उन्होंने ऐसे कामों को भी किया जिसे असंभव समझा जाता था।