Padmashree 2024: कौन हैं रामचेत चौधरी, जिन्होंने काला नमक चावल को दिलाया GI टैग!

Padmashree 2024: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर साल 2024 के लिए दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई। अलग-अलग क्षेत्रों में अतुलनीय काम करने के लिए कुछ असाधारण लोगों को ये सम्मान दिया जाएगा। साल 2024 के लिए 110 नामों की घोषणा पद्मश्री के लिए की गई है। ऐसे ही लोगों में से एक है गोरखपुर के रामचेत चौधरी, जानते हैं कौन हैं ये शख्सियत और किसलिए इन्हें पद्मश्री सम्मान दिया जा रहा है…

रामचेत चौधरी के बारे में

उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले रामचेत चौधरी कृषि वैज्ञानिक हैं। रामचेत चौधरी पिछले कई सालों से काला नमक चावल पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने चावल की इस स्थानीय किस्म की विशेषता को लेकर बहुत काम किया है। ये उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि काला नमक चावल को जीआई टैग मिल चुका है। पिछले कई वर्षों से रामचेत चौधरी काला नमक को लेकर रिसर्च करते रहे हैं। धीरे- धीरे उनकी मेहनत सफल हुई। आज देश-दुनिया में काला नमक चावल की मांग है। वर्तमान में काला नमक चावल 80 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में उगाई जा रही है। खाने में बेहद स्वादिष्ट और सुगंधित इस चावल की आज वैश्विक पहचान है। सरकार की तरफ से इसे जीआई टैग भी मिला है।

कृषि वैज्ञानिक के तौर पर दी सेवा

रामचेत चौधरी मूल रूप से संत कबीर नगर जिले के ग्राम महुली भीमरापार के निवासी हैं। उनके पिता रामलाल चौधरी किसान थे। रामचेत चौधरी की प्रारंभिक शिक्षा संत कबीर नगर से पूरी हुई। साल 1965 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीएससी और 1967 में एग्रीकल्चर से एमएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो 1969 में कानपुर के चंद्रशेखर आजाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री के लिए चले गए।

रामचेत चौधरी 10 सालों तक पंतनगर के गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय में कृषि वैज्ञानिक के रूप में अपनी सेवा दे रहे थे। उसके बाद उन्होंने 5 सालों तक पटना के राजेंद्र प्रसाद तकनीकी विश्वविद्यालय में डायरेक्टर के पद पर काम किया। विश्व बैंक की तरफ से उन्हें राइस स्पेशलिस्ट और रिसर्च के लिए नाइजीरिया एवं फिलीपींस के अनुसंधान केंद्र भी भेजा गया। 5 सालों तक उन्होंने रिसर्च की अंत में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में भी उन्होंने 10 सालों तक सेवाएं दी और फिर रिटायर हो गए। लेकिन कृषि के क्षेत्र में उनका काम जारी रहा।

कृषि वैज्ञानिक रामचेत चौधरी को इससे पहले उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर रन से भी सम्मानित किया था। मुख्यमंत्री की पहल पर ही सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल के रिसर्च के लिए 15 करोड़ रुपए की लागत से सीएफसी भी चलाई जा रही है।

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काला नमक चावल की विशेषता

देश और दुनिया में अपनी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर काला नमक चावल सिद्धार्थ नगर के तराई क्षेत्र और पूर्वी उत्तर प्रदेश के दस पड़ोसी जिलों में उगाई जाती है। प्रचलित लोक-कथाओं के अनुसार काला नमक चावल को गोरखपुर सहित महाराजगंज और आसपास के क्षेत्र में महात्मा बुद्ध का “महाप्रसाद” भी कहते हैं। इसे एक अलग पहचान दिलवाने के लिए कृषि वैज्ञानिक रामचेत चौधरी ने काफी मेहनत की और अब उन्हें इसी काम के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है।

Positive सार

ये रामचेत चौधरी के प्रयासों का ही नतीजा है कि उत्तरप्रदेश में आज काला नमक चावल 11 जिलों में 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाई जा रही है। उनके काम को जो सम्मान मिला है वो ये बताता है कि भारत में ऐसे महान लोग हैं जो समाज को एक बेहतर दिशा देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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