Padmashree 2024: विरले ही होते हैं, जो अपना जीवन दूसरों के लिए समर्पित कर देते हैं। ये लोग समाज के लिए, राज्य के लिए और देश के लिए गौरव होते हैं। ऐसे ही छत्तीसगढ़ का गौरव हैं, हेमचंद मांझी, पंडित रामलाल बरेठ और जागेश्वर राम यादव। जिन्हें इस साल पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ से संबंध रखने वाले ये लोग अपना जीवन दूसरों की बेहतरी के लिए समर्पित कर चुके हैं। जानते हैं इनके बारे में…..
हेमचंद मांझी
बस्तर का बीहड़ और नक्सल इलाका है नारायणपुर (Narayanpur) जिले का अबूझमाड़, यहीं पर रहते हैं वैद्यराज हेमचंद मांझी। देसी जड़ी-बूटी और औषधि के जानकार हेमचंद मांझी अपने क्षेत्र के साथ-साथ राज्य और भारत के कोने-कोने से आने वाले कैंसर पीड़ित मरीजों को सस्ती दवाएं देते आ रहे हैं। 20 साल की उम्र से काम करते मांझी को आज 50 साल से भी ज्यादा हो गये हैं, जब वो लोगों की सेवाएं कर रहे हैं। मांझी जंगलों से मिलने वाली जड़ी-बूटियों से औषधि तैयार कर बड़ी संख्या में कैंसर पीड़ितों का इलाज कर रहे हैं। उनके पास छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली, मुंबई और देश के हर कोने से कैंसर पीड़ित औषधि के लिए आते हैं। अबूझमाड़ के सुदूर जंगल, तमाम मुश्किलें और नक्सली खतरे को भी पार करते हुए वो कई बार लोगों के घरों में जाकर भी इलाज करते हैं। उनकी सेवा का भाव देखकर नक्सलियों ने उन्हें कई बार परेशान भी किया है। लेकिन उन्होंने समाज सेवा को अपना पहला धर्म समझा। उन्हें इस साल Padmashree से सम्मानित किया जा रहा है। उनके परिवार और अबूझमाड़ के लोग इस बात से काफी खुश हैं।
राम लाल बरेठ
Padmashree 2024 का सम्मान पाने वाले पंडित राम लाल बरेठ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग के रायगढ़ जिले के निवासी हैं। रामलाल बरेठ का जन्म 6 मार्च 1936 को रायगढ़ में हुआ था। तब ये क्षेत्र मध्य प्रदेश में आता था। राम लाल बरेठ प्रतिष्ठित कथक पंडित कार्तिक राम के पुत्र हैं। रामलाल बरेठ लखनऊ घराने के महाराज भी हैं। उनके पिता और उस्ताद मोहम्मद ने उन्हें तबला सिखाया था। अपने गुरू के मार्गदर्शन में उन्होंने कथक नर्तक की शिक्षा ली। खान बंदा से उन्होंने स्वर संगीत की शिक्षा ली है। रामलाल आज कथक की रायगढ़ शैली के प्रतिष्ठित और अग्रणी प्रतिपादक हैं। उन्हें कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए Padmashree 2024 सम्मान दिया गया है। इससे पहले राम लाल बरेठ अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं।
जागेश्वर राम यादव
आदिवासी कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले जागेश्वर राम यादव ने छत्तीसगढ़ की एक विलुप्त होती बिरहोर जनजाति को संवारने का काम किया है। उनके काम और समर्पण की वजह से उन्हें Padmashree 2024 से सम्मानित किया जा रहा है। लोग उन्हें बिरहोर के भाई के नाम से भी जानते हैं।
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Positive सार
Padmashree पुरस्कार कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामलों, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, लोक सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। ऐसी विभूतियों का हमारे आस-पास होना ये बताता है कि हम एक बेहतर समाज का हिस्सा हैं।