Mission Agni-5: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भारतीय वैज्ञानिकों को अग्नि-5 के परीक्षण के लिए बधाई दी है। मल्टीपल इंडीपेंट रीएंट्री व्हीकल पर बेस्ड यह मिसाइल प्रणाली साल 2008 में शुरू हुआ था। 5000 किलोमीटर से भी ज्यादा इस मारक क्षमता वाली मिसाइल को लीड करने वाली वैज्ञानिक का नाम है शीना रानी। क्या आप जानते हैं कौन हैं शीना रानी और लोग क्यों उन्हें ‘दिव्य पुत्री’ कह रहे हैं।
‘मिशन दिव्यास्त्र’ के बारे में
भारत 11 मार्च 2024 को मिशन दिव्यास्त्र का सफल परीक्षण किया। ये मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी देश में विकसित अग्नि-5 मिसाइल का ही एडिशन है। ये परीक्षण ओडिशा के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड पर हुआ। जिसके बाद भारत ऐसी क्षमता रखने वाले चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया। इस प्रोजेक्ट को हैदराबाद में देश के मिसाइल परिसर की एक महिला वैज्ञानिक शीना रानी ने लीड किया है। बता दें कि साल 1999 से अग्नि मिसाइल सिस्टम पर शीना काम कर रही हैं। ‘मिशन दिव्यास्त्र’ की वजह से उन्हें ‘दिव्य पुत्री’ कहा जा रहा है।
Mission Agni-5 की ताकत
अग्नि-5 का नाम ही इसकी ताकत को दर्शाता है। दरअसल अग्नि-5 की मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर है और इसे देश की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। यह मिसाइल चीन के उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरे एशिया को अपनी मारक सीमा के अंतर्गत टारगेट कर सकता है। अग्नि 1 से 4 मिसाइलों की रेंज 700 किमी से 3,500 किलोमीटर तक भी है।
MIRV तकनीक क्या है, जिससे लैस है अग्नि-5 मिसाइल?
शीना रानी के बारे में
Mission Agni-5 प्रोजेक्ट को लीड करने वाली महिला वैज्ञानिक का नाम शीना रानी (Sheena Rani) है। इस पूरे प्रोजेक्ट को शीना रानी के नेतृत्व में ही सफलता तक पहुंचाया गया है। ‘मिशन दिव्यास्त्र’ प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहीं वैज्ञानिक शीना कहती हैं कि उन्हें गर्व है कि वो इस टीम का हिस्सा बनीं। वो डीआरडीओ की एक गौरवान्वित सदस्य हैं जो भारत की रक्षा में मदद करती है। शीना ने ये भी कहा कि वो भारत की प्रसिद्ध मिसाइल प्रौद्योगिकीविद् ‘अग्नि पुत्री’ टेसी थॉमस को अपना रोल मॉडल मानती हैं। जिन्होंने अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
शीना रानी का करियर
कंप्यूटर विज्ञान की एक्सपर्टीज के साथ वो एक ट्रेन इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियर भी हैं। तिरुवनंतपुरम में इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने अपनी डिग्री ली है। साथ ही शीना रानी ने भारत की अग्रणी नागरिक रॉकेटरी प्रयोगशाला, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में भी 8 सालों तक अपनी सेवाएं दी है।
अग्नि सीरीज का लंबे समय से हिस्सा
Mission Agni-5 की ये वैज्ञानिक शीना रानी साल 1998 में भारत के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद सीधे तौर पर DRDO से जुड़ गईं। 1999 से ही शीना नेअग्नि सीरीज की सभी मिसाइलों के लॉन्च कंट्रोल सिस्टम पर काम किया है। वो भारत के ‘मिसाइल मैन’ और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को भी अपनी प्रेरणा मानती हैं।
Positive सार
शीना रानी की उपलब्धि देश की उपलब्धि है। उन्होंने ये साबित कर दिया कि साइंस और टेक के फील्ड में महिलाओं की भूमिका कितनी ज्यादा महत्वपूर्ण है। उनके अनूठे दृष्टिकोण और विचारों के माध्यम से नई और नवाचारी विचारों को बल मिल रहा है। शीना का योगदान समाज में आधुनिकीकरण और समाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देती है।