चांद-तारों को छूने की ‘आशा’

राजस्थान के जोधपुर में सड़कों की सफाई करने वाली आशा को
जब ये खबर मिली होगी
, कि
उनका चयन राजस्थान प्रशासनिक सेवा के लिए हुआ है
, और अब वह SDM
बनेंगी। तब निश्चित ही उन्हें इस बात का यकीन हो गया होगा, कि जिन सपनों को हम देख सकते हैं, उन्हें पूरा करने की काबिलियत भी हमारे
अंदर ही होती है। बस जरुरत मेहनत और लगन की होती है।

आशा कंडारा जोधपुर नगर-निगम में कार्यरत हैं। आशा के 2
बच्चें हैं
, जिनकी परवरिश
और नौकरी के बीच तालमेल बनाकर उन्होंने राजस्थान प्रशासनिक सेवा, 2018 में रैंक
हासिल किया। साल 1997 में आशा की शादी हुई लेकिन शादी के 5 साल बाद ही वह अपने पति
से अलग हो गईं। निजी जिंदगी की उठापटक के बावजूद आशा ने अपना ग्रैजुएशन पूरा किया
और प्रशासनिक सेवा में जाने के अपने सपने को ज़िंदा रखा।

आशा के बच्चों को अपनी मां पर
गर्व है

आशा के बच्चे ऋषभ और पल्लवी के लिए यह खुशी का क्षण है।
उनका कहना है कि
मां
की पढ़ाई से हम हमेशा मोटिवेट होते हैं। वह अपनी लगन और मेहनत से यहां तक पहुंची
हैं। जब भी मौका मिलता था वह पढ़ती थीं। स्कूटी में हमेशा किताबें रखती थीं। हमें उन पर गर्व है।

आशा ने काम के साथ ऑनलाइन कोचिंग और सही टाइम मैनेजमेंट
से यह मुकाम हासिल किया है। आशा ने अपनी इस सफलता के साथ यह साबित कर दिया है, कि
सपने देखना और उनको पूरा करना आसान तो नहीं है, लेकिन नामुमकिन भी नहीं। ज़िंदगी
में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं, लेकिन अपने लक्ष्य को कभी भी दरकिनार नहीं करने
वाला ही मंज़िल की चोटी को छू पाता है।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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