Sudha Murti: आज शायद ही कोई शख्स होगा जो सुधा मूर्ति के बारे में नहीं जानता होगा। दरअसल टाटा की पहली महिला इंजीनियर की पहचान रखने वाली सुधा मूर्ति भले ही आज कई लोगों की रोल मॉडल है, लेकिन उनकी राह आसान नहीं थी। टाटा के शीर्ष पद को संभालने वाली सुधा को कभी इस नौकरी के लिए परेशानी उठानी पड़ी थी। सुधा मूर्ति ने अपने पद के लिए सीधे टाटा को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई थी। जिसके बाद दिग्गज टाटा कंपनी को अपनी कई साल पुरानी परंपरा तोड़नी पड़ी।
सुधा मूर्ति के बारे में
सुधा मूर्ति टाटा की पहली महिला इंजीनियर बनीं। उनके पति नारायण मूर्ति इंफोसिस के संस्थापक हैं और दामाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री है। 19 अगस्त 1950 में कर्नाटक के शिगगांव में पैदा हुईं सुधा मूर्ति जी ने B.V.B कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई किया था। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान से कंप्यूटर साइंस में प्रथम स्थान प्राप्त किया और भारतीय इंजीनियर्स संस्थान से गोल्ड मेडलिस्ट रहीं।
साल 1996 में सुधा मूर्ति ने एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की, जिसकी मदद से अब तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 2,300 से ज्यादा घर बनाए गए हैं। सुधा मूर्ति कहती हैं हर एक स्कूल के लिए एक पुस्तकालय खोलना उनका सपना है। अभी तक उन्होंने 70,000 से अधिक लाइब्रेरी की स्थापना की है।
दिलचस्प है सुधा की कहानी
भारत की सबसे बड़ी ऑटो मैन्युफैक्चरर कंपनी टेल्को में पहले महिलाओं की नियुक्ति नहीं की जाती थी। सुधा मूर्ति ने इसके लिए एक दिलचस्प लड़ाई लड़ी। IISc बेंगलुरु से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स डिग्री करने के दौरान सुधा ने एक नौकरी के लिए विज्ञापन देखा जिसमें ऑटोमोबाइल कंपनी टेल्को में एक स्टैंडर्ड जॉब की वैकेंसी थी। विज्ञापन में लिखा था युवा, होनहार, मेहनती इंजीनियरों की आवश्यक्ता है। इस विज्ञापन के ठीक नीचे एक लाइन लिखी थी। ‘महिला उम्मीदवार इसके लिए आवेदन न करें। इसे लेकर सुधा ने अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने जेआरडी टाटा (JRD Tata) को एक पत्र लिखा कि- ‘महान टाटा हमेशा से अग्रणी रहे हैं, देश में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कैमिकल, कपड़ा और लोकोमोटिव सेक्टर में आप बड़े हैं। आपके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया गया है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस आपके द्वारा ही स्थापित एक संस्था है और सौभाग्य से मैं वहां पढ़ती हूं। मुझे इस बात की बहुत हैरानी है कि टाटा जैसी कंपनी में लिंग के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है।”
बस फिर क्या था इसके 10 दिन बाद ही कंपनी के खर्च पर Sudha Murti को पुणे इंटरव्यू के लिए बुलवाया गया। सुधा ने उस इंटरव्यू को काफी गंभीरता से लिया और उनका चयन भी हुआ। इस तरह सुधा टाटा की पहली महिला इंजीनियर बनीं।