महिलाओं को सशक्त बनाता एक बैंक, जिसकी पूरी बागडोर संभालती हैं महिलाएं!

असम के जोरहाट में एक खास बैंक है। जिसे महिलाएं चलाती हैं। इस बैंक की शुरूआत 1998 में लखिमी बरुआ ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए की थी। उन्होंने ये सोचा कि अगर महिलाओं को सशक्त बनाना है तो उनके लिए कुछ अलग करना पड़ेगा और इस तरह इस बैंक की नींव रखी गई। 

लखिमी बरुआ की इसी सोच और शानदार पहल के लिए साल 2021 में उन्हें भारत सरकार चौथा सबसे महत्वपूर्ण सिविलियन अवॉर्ड पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इस अवॉर्ड के ज़रिये महिलाओं को सशक्त बनाने की उनकी इस कोशिश को काफी सराहना मिली।

लाखों महिलाओं को बैंकिंग से जोड़ने का किया काम

लखिमी ने Kanaklata Mahila Urban Co-Operative बैंक को सिर्फ महिलाओं की सुविधा के लिए ही शुरू किया है। इस बैंक में सिर्फ़ महिलाओं को लोन मिलता है हालांकि RBI के नियमों के हिसाब से उन्हें पुरुषों को पैसे डिपाजिट करने की सुविधा का लाभ मिलता है। इस बैंक की मदद से राज्य की महिलाएं अपनी ज़रूरतों के लिए लोन लेकर अपने क्षेत्र में बेहतर काम कर रही हैं। ये बैंक RBI की अलग-अलग स्कीम का पालन करती है जिसके जरिए महिलाओं को सुविधा मिल रही है।

महिलाओं में बढ़ा बैंकिंग का चलन

बैंकिंग यानी कि वित्तीय सुरक्षा। इस बैंक को शुरू करना का सबसे बड़ा उद्देश्य महिलाओं के बीच बैंकिंग को बढ़ावा देकर उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। इस बैंक ने महिलाओं को बैंकिंग से जुड़े काम-काज और आर्थिक तौर पर स्वतंत्र बनाने की खास पहल की है। इस बैंक की सफलता का नतीजा ये है कि आज के समय में यहां हर दिन लगभग 250 ग्राहक आते हैं। सबसे बड़ी बात, इसकी 75% से ज़्यादा महिला कस्टमर पारम्परिक तरीके से शिक्षित तक नहीं है। यही नहीं ये महिलाएं आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार से भी आती हैं।

सिर्फ में 8. 64 लाख रुपये से हुई थी बैंक की शुरूआत

लाखिमी ने 1998 में 8. 64 लाख रुपये के साथ Kanaklata शहरी सहकारी बैंक को शुरू किया था। साल 2000 में जब बैंक को RBI से लाइसेंस मिला तो लाखिमी ने अपनी नौकरी छोड़कर खुद को इस बैंक को समर्पित कर दिया। महिलाओं के इस बैंक को महिलाएं ही चलाती हैं और महिलाएं ही यहां काम करती हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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