Sponge cities: भारत के कई ऐसे राज्य हैं जहां पर बार-बार बाढ़ की समस्या आम बात है। सामान्य सी बात है बाढ़ आने पर जन-जीवन पूरी तरह से प्रभावित होता है। ऐसे में कौन सी तकनीक अपनाई जाए जहां इस तरह की परेशानी से निपटा जा सके। इसका जवाब है स्पंज सिटी (Sponge city) अब आप ये सोच रहे हैं कि ये स्पंज सिटी क्या है? भारत में ये कहां पर है और किस तरह ये काम करता है। जानते हैं इस आर्टिकल के माध्यम से…
स्पंज सिटी
स्पंज सिटी (Sponge city) के नाम से ही पता चल रहा है कि इसमें स्पंज का कोई महत्वपूर्ण रोल होगा। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि शहरों में स्पंज लगाया जाएगा। दरअसल ये ऐसे शहर होते हैं जिन्हें पानी सोखने के लिए सक्षम बनाया जाता है।
जैसे स्पंज अपने आस-पास के पानी को सोख लेता है और कुछ साफ करने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है वैसे ही स्पंज सिटी भी अपने आस-पास के पानी को सोख लेता है। बाढ़ प्रभावित शहरों को स्पंज सिटी प्रोजेक्ट के तहत पानी को सोखने के हिसाब से तैयार किया जाता है।
ऐसे करता है काम
इस प्रोजेक्ट के तहत शहरों को इस तरह से तैयार किया जाता है कि वहां पर तेज या ज्यादा बारिश के बाद इकट्ठे होने वाली पानी, बाढ़ के पानी को एक जगह स्टोर किया जाए, जिस तरह से एक स्पंज करता है। स्पंज की तरह शहर में पानी को भी ऑब्जर्व करने का काम होता है। चेन्नई मेट्रोपोलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी भी स्पंज सिटी के लिए काम कर रही है। स्पंज सिटी के जरिए बारिश के पानी को फिर से इस्तेमाल लायक बनाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट का अहम लक्ष्य अर्बन फ्लड को रोकना है।
फ्लड मैनेजमेंट में सहायक
स्पंज सिटी (Sponge city) एक तरह से फ्लड मैनेजमेंट में कारगर साबित होता है। इससे बाढ़ और बारिश के पानी का सही तरह से निकासी होता है। इस मैनेजमेंट का लक्ष्य जमीनी जल स्तर बढ़ाने के लिए या फिर से पानी का इस्तेमाल करने के लिए होता है।
कैसे बनेगी स्पंज सिटी?
स्पंज सिटी बनाने के लिए भारत में राज्य सरकारें अलग-अलग तरह से काम कर रही हैं। इसके लिए शहरों में रिचार्ज शाफ्ट बनाया जाएगा। रिचार्ज शाफ्ट्स के तहत तालाब या गड्डे तैयार होंगे। इनमें बारिश का पानी इकट्ठा होगा और इन जमा पानी को जमीन में वापस भेजकर जमीन का जल स्तर बढ़ाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक गड्डों को 80-90 फीट गहरा बनाया जाएगा। जमा किए गए पानी को कई तरीके से भी इस्तेमाल किया जाएगा।
भारत में कहां है स्पंज सिटी?
अभी तक भारत के चेन्नई शहर के 57 से ज्यादा स्पंज पार्कों पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के 15 शहरों को भी स्पंज सिटी के तौर पर तैयार किया जाएगा। इन सिटीज में जमीनी जल स्तर और बाढ़ के पानी का सही इस्तेमाल करने की दिशा में काम किया जा रहा है। पानी के सही इस्तेमाल और जमीन के जल स्तर को बढ़ाने के लिए आने वाले समय में कई दूसरे शहर भी इस प्रोजेक्ट पर काम करेंगे।
Positive सार
स्पंज सिटी (Sponge city) की अवधारणा सबसे पहले कोपहेगन में लाई गई थी। भारत में भी कई राज्य हैं जो बाढ़ जैसी स्थिति से निपटते रहते हैं। ऐसे में अगर स्पंज सिटी सफल होती है तो जल संरक्षण की दिशा में भी अभूतपूर्व कार्य होंगे।