Shubhanshu Shukla: अंतरिक्ष से क्या-क्या लाएंगे शुभांशु?

Shubhanshu Shukla: 25 जून 2025 को अमेरिका के फ्लोरिडा से अंतरिक्ष की ओर रवाना हुए शुभांशु शुक्ला अब धरती पर लौटने की तैयारी में हैं। 18 दिन तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में बिताकर, उन्होंने न सिर्फ भारत का नाम रोशन किया, बल्कि अंतरिक्ष से भारत को अपने अंदाज़ में देखने का अनुभव भी साझा किया। “आज का भारत महत्वाकांक्षी, निडर और आत्मविश्वासी है… आज भी सारे जहाँ से अच्छा दिखता है”- शुभांशु शुक्ला, ISS से विदाई के समय।

ISS पर 18 दिन

अंतरिक्ष में बिताए इन 18 दिनों में शुभांशु शुक्ला ने अपने मिशन एक्सियम-4 (Axiom-4) के तहत वैज्ञानिकों और साथी यात्रियों के साथ कई इमोशनल और साइंटिफिक अनुभव साझा किए। उन्होंने हर दिन पृथ्वी के 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देखे — वो भी 28,000 किमी/घंटा की रफ़्तार से घूमते हुए!

कौन-कौन से एक्सपेरिमेंट किए गए?

माइक्रोएल्गी एक्सपेरिमेंट, शुक्ला ने ऐसे माइक्रोएल्गी पर काम किया जो भविष्य में अंतरिक्ष मिशनों में भोजन, ऑक्सीजन और बायोफ्यूल का स्रोत बन सकते हैं।

वॉयेजर डिस्प्ले स्टडी

इस स्टडी के ज़रिए अंतरिक्ष उड़ान के दौरान आंखों की मूवमेंट और कोऑर्डिनेशन को समझने की कोशिश की गई।

सेरेब्रल ब्लड फ्लो स्टडी

यह अध्ययन यह जानने के लिए किया गया कि अंतरिक्ष में दिल और दिमाग़ पर माइक्रोग्रैविटी और CO₂ लेवल का क्या असर होता है।

रेडिएशन ट्रैकिंग

रैड नैनो डोज़ीमीटर नाम का उपकरण इस्तेमाल कर, स्पेस में रेडिएशन की निगरानी की गई ताकि अंतरिक्ष यात्रियों की सेफ्टी सुनिश्चित की जा सके।

मेंटल और न्यूरो स्टडीज

‘Acquired Equivalence Test’ और ‘PhotonGrav Study’ जैसे परीक्षणों से यह समझने की कोशिश हुई कि दिमाग़ स्पेस एनवायरनमेंट में कैसे काम करता है।

धरती पर वापसी

एक्सियम-4 की टीम नासा के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से वापस आ रही है, जो कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में लैंड करेगा। शुक्ला और बाकी क्रू मेंबर्स को फिर से धरती की ग्रैविटी से सामंजस्य बैठाने के लिए 7 दिन का रिहैब दिया जाएगा।

भारत के लिए ऐतिहासिक पल

शुभांशु शुक्ला बने हैं ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय। उनकी यात्रा सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी, वैज्ञानिक और आत्मनिर्भरता की उड़ान का प्रतीक है।

गगनयान मिशन के लिए तैयारी

ISRO ने इस मिशन में करीब ₹550 करोड़ का निवेश किया है ताकि साल 2027 में लॉन्च होने वाले ‘गगनयान’ मानव मिशन के लिए ज़रूरी अनुभव हासिल किया जा सके।

एक मिशन, कई मायने

शुक्ला की यह यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष की सैर नहीं थी, यह भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए रोडमैप भी है। माइक्रोग्रैविटी में काम करना, मेंटल फिटनेस बनाए रखना, और स्पेस-रेडिएशन से सुरक्षा जैसे कई जरूरी पहलुओं पर उनकी स्टडीज बहुत काम आएंगी।

भावनात्मक विदाई

ISS पर विदाई सेरेमनी के दौरान साथी यात्रियों के साथ इमोशनल पल साझा करते हुए शुक्ला ने कहा- “25 जून को जब मिशन शुरू हुआ, तब यह सब सोच भी नहीं सकते थे… यहाँ होना और इतने प्रोफेशनल लोगों के साथ काम करना मेरे लिए गर्व की बात है।”

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Rishita Diwan

Content Writer

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