Shubhanshu Shukla Axiom 4: 1984 में जब राकेश शर्मा ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कहा था, “सारे जहाँ से अच्छा,” तब भारत पहली बार किसी भारतीय की आवाज़ के साथ अंतरिक्ष में गूंजा था। और अब 41 साल बाद, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के ज़रिए उस विरासत को फिर से जिंदा किया है। उन्होंने अंतरिक्ष से “नमस्कार” कहकर भारत की उम्मीदों को नई ऊंचाई दी है।
अंतरिक्ष से पहला संदेश
Axiom-4 मिशन से जुड़ने के बाद शुभांशु शुक्ला ने वीडियो लिंक के ज़रिए बताया कि “मैं सब कुछ एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं। वैक्यूम में तैरना एक अनोखा अनुभव है।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रक्षेपण से पहले वे 30 दिनों तक क्वारंटीन में रहे, और उस दौरान उनका ध्यान केवल एक बात पर था- “बस मुझे जाने दो अंतरिक्ष में!”
Axiom-4
Axiom-4 मिशन का ड्रैगन कैप्सूल भारतीय समयानुसार 27 जून शाम 4:02 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ा। इसी के साथ शुभांशु शुक्ला बन गए, पहले भारतीय जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुँचे।
वे इस मिशन में पायलट की भूमिका निभा रहे हैं। इस दौरान उन्हें ज़ीरो ग्रैविटी ट्रेनिंग, लाइव सिस्टम ऑपरेशन, और स्पेस वॉक प्रैक्टिस जैसे अनुभव मिलेंगे, जो भारत के अपने मानव मिशन – गगनयान के लिए बेहद जरूरी हैं।
भारत का मानव मिशन
गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO का पहला मैनड मिशन है। इस मिशन के तहत तीन भारतीयों को पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर ऊपर भेजा जाएगा, जहां वे 3 से 7 दिन तक रहेंगे और फिर समुद्र में लैंडिंग के साथ वापस लौटेंगे। शुभांशु शुक्ला को Axiom-4 पर भेजना, गगनयान के लिए रियल टाइम ट्रेनिंग का हिस्सा है।
वे स्पेस में खाना, रहना, काम करना, ये सब रियल एक्सपीरियंस से सीख रहे हैं ताकि जब भारत अपना मिशन लॉन्च करे, तो कोई कसर न रहे।
ISRO की स्पेस जर्नी
1962–80 | INCOSPAR गठन, साउंडिंग रॉकेट, आर्यभट्ट, SLV-3 |
1981–2007 | INSAT, GSAT, PSLV और GSLV का विकास |
2008–2014 | Chandrayaan-1, Mars Orbiter Mission |
2019–2024 | Chandrayaan-2/3, Aditya-L1, XPoSat |
2025–2040 | गगनयान, भारतीय स्पेस स्टेशन, चंद्र मानव मिशन |
भारत की स्पेस स्टोरी शुरू हुई थी 1962 में INCOSPAR से, जिसकी अगुवाई डॉ. विक्रम साराभाई ने की थी।
- 1963 में थुम्बा से पहला रॉकेट लॉन्च हुआ
- 1975 में आर्यभट्ट
- 1980 में SLV-3 से रोहिणी
- 1993 से PSLV की कामयाब उड़ानें शुरू हुईं
खास है शुभांशु शुक्ला की उड़ान
- पहली बार कोई भारतीय अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर गया।
- वे ISRO के गगनयान मिशन के संभावित यात्री हैं।
- उनके अनुभव भविष्य के भारतीय स्पेस मिशन को मजबूती देंगे।
यह उड़ान बताती है कि भारत अब सिर्फ तकनीकी ताकत नहीं, बल्कि मानव क्षमताओं में भी अंतरिक्ष महाशक्ति बनने की ओर है।
Positive सार
भारत की स्पेस जर्नी अब एक नए अध्याय में है, जहाँ सिर्फ यान नहीं, भारत का आत्मविश्वास भी उड़ान भर रहा है। शुभांशु शुक्ला सिर्फ एक पायलट नहीं, बल्कि उन करोड़ों सपनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो भारत को सितारों तक पहुंचते देखना चाहते हैं।