Rocket Women of India: ऋतु करिधाल, जो “रॉकेट वुमन” के नाम से मशहूर हैं, भारत की उन प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक हैं जिन्होंने कई अंतरिक्ष मिशनों में अहम भूमिका निभाई है। ऋतु ने उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन में भी मुख्य जिम्मेदारी निभाई थी। चंद्रयान-3 की स्मूद लैंडिंग का जिम्मा ऋतु करिधाल के हाथों में ही था। 2014 के मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) में भी उन्होंने डिप्टी डायररेक्टर के रूप में काम किया था।
लखनऊ से इसरो तक का सफर
ऋतु करिधाल का जन्म 1997 में लखनऊ में हुआ था। ऋतु की पढ़ाई भी लखनऊ से ही हुई है। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से B.Sc और M.Sc की है। बाद में इसी यूनिवर्सिटी से उन्होंने पीएचडी भी की। ऋतु बचपन से ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करना चाहती थीं। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में एडमिशन लिया। ऋतु ने 1997 में इसरो के साथ काम शुरू किया था। तब से लेकर अब तक इसरो के कई बड़े मिशन की टीम का हिस्सा रही हैं।
चंद्रयान-3 में निभाई अहम भूमिका
चंद्रयान-3 मिशन में ऋतु करिधाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके अलावा, उन्होंने चंद्रयान-2, मंगलयान और मार्स ऑर्बिटर मिशन जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में भी काम किया है। उनका सपना हमेशा से अंतरिक्ष में भारत का नाम ऊंचा करना था और उन्होंने इसे अपनी मेहनत से पूरा किया है। चंद्रयान-3 का सबसे महत्वपूर्ण चरण था उसकी लैंडिगं। इस जिम्मेदारी को संभालने वाली टीम में ऋतु करिधार की अहम भूमिका रही।
मंगलयान मिशन में थीं शामिल
मंगलयान मिशन में भी ऋतु करिधाल का योगदान बहुत बड़ा था। इस मिशन की वजह से भारत मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बना। इस मिशन के बाद इसरो में ऋतु करिधाल की भूमिका ने उन्हें दुनियाभर में ‘रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया’ के रूप में पहचान दिलाई है।
सम्मान और पुरस्कार
ऋतु करिधार को अंतरिक्ष के क्षेत्र में किए गए काम के लिए कई सम्मान और अवॉर्ड मिल चुके हैं।-
• 2024 में उत्तर प्रदेश दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऋतु करिधाल को “उत्तर प्रदेश गौरव सम्मान” से सम्मानित किया।
• 2007 में उन्हें एपीजे अब्दुल कलाम से “इसरो युवा वैज्ञानिक पुरस्कार” मिला।
• उन्होंने TED और TEDx कार्यक्रमों में मंगलयान की सफलता के बारे में अपने अनुभव साझा किए।
• लखनऊ विश्वविद्यालय ने भी उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया।