NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) एक क्रांतिकारी अर्थ-ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है, जिसे ISRO और NASA मिलकर लॉन्च करने जा रहे हैं। यह सैटेलाइट धरती की सतह पर होने वाले नाजुक बदलावों, दरारों, भूकंप के संकेतों और जलवायु परिवर्तन की स्थिति को पहले ही पकड़ सकेगा।
- लॉन्च डेट- 30 जुलाई 2025
- समय- शाम 5:40 बजे
- स्थान- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
- रॉकेट- GSLV-F16
- वजन- 2392 किलोग्राम
- कक्षा- सूर्य समकालिक कक्षा (743 किमी ऊपर)
क्यों खास है NISAR?
NISAR दुनिया का पहला सैटेलाइट होगा जो दो अलग-अलग फ्रीक्वेंसी वाले सिंथेटिक एपरचर रडार के साथ लॉन्च किया जाएगा,
- NASA का L-band
- ISRO का S-band
ये टेक्नोलॉजी किसी भी मौसम में, चाहे बादल हों या घना जंगल, धरती के अंदर तक की जानकारी निकाल सकती है, जैसे एक एक्स-रे मशीन।
हर 12 दिन में पूरी धरती का स्कैन
इस सैटेलाइट की कवरेज क्षमता इतनी ज़बरदस्त है कि यह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी का स्कैन करेगा और एक बार में 242 किमी चौड़ा इलाका कवर करेगा। इससे वैज्ञानिक जान पाएंगे
- ज़मीन कब और कैसे खिसक रही है
- किस इलाके में भूकंप का खतरा बढ़ रहा है
- कहाँ पर दरारें बन रही हैं
- कौन से इलाके धंसने वाले हैं
- आपदा से पहले अलर्ट, जान बचाने की उम्मीद
- NISAR से आने वाले डेटा की मदद से,
- आपदा प्रबंधन एजेंसियां पहले से तैयार हो सकेंगी
- सरकारें पॉलिसी बना सकेंगी
किसानों को मिट्टी और मौसम की सटीक जानकारी मिल सकेगी और सबसे जरूरी, लोगों की जान बचाई जा सकेगी।
कहां-कहां होगा उपयोग?
- NISAR से मिलने वाला डेटा इन सभी क्षेत्रों में गेमचेंजर साबित होगा,
- भूकंप, ज्वालामुखी और भूस्खलन की निगरानी
- ग्लेशियर और आइस कैप्स की हलचल
- मिट्टी में नमी और जल स्तर की जानकारी
- तटीय इलाकों में समुद्र के बदलाव
- वनों, खेती और पर्यावरण में हो रहे बदलाव
10 साल की मेहनत
- इस सैटेलाइट मिशन को सफल बनाने में ISRO और NASA के वैज्ञानिकों ने 10 साल से ज्यादा वक्त लगाया है।
- इसकी कुल लागत लगभग 1.5 अरब डॉलर (12,000 करोड़ रुपए) है।
- सैटेलाइट को ISRO की I3K बस पर तैयार किया गया है और NASA ने इसमें 12 मीटर की मेश एंटीना लगाई है, जो डेटा इकट्ठा करने में अहम भूमिका निभाएगी।
Shubhanshu Shukla: एस्ट्रोनॉट्स के कैप्सूल समुद्र में ही क्यों उतारे जाते हैं?
क्यों कहा जा रहा है इसे ‘Silent Guardian’?
क्योंकि यह सैटेलाइट किसी हथियार की तरह नहीं, बल्कि आपदा से पहले चेतावनी देने वाला एक मौन रक्षक है। NISAR यह साबित करता है कि जब विज्ञान और सहयोग मिलते हैं, तो वो आने वाले खतरे को पहले ही पहचान कर उसे रोकने की ताकत रखते हैं।