ISRO: भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में पौधों को उगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। इस उपलब्धि ने न केवल विज्ञान की दुनिया को चौंकाया है, बल्कि अंतरिक्ष में मानव जीवन को स्थायी बनाने की संभावनाओं को भी नया आयाम दिया है। ISRO ने अपने PSLV C-60 के पोएम-4 मिशन के जरिए माइक्रोग्रैविटी में लोबिया के बीजों को अंकुरित करने का प्रयोग सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह प्रयोग वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण से कितना महत्वपूर्ण है, आइए जानते हैं।
कैसे उगाया गया पौधा?
इस ऐतिहासिक प्रयोग को ‘कंपैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज’ (CROPS) के माध्यम से अंजाम दिया गया। इसे इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में विकसित किया गया था। प्रयोग के दौरान आठ लोबिया के बीजों को एक नियंत्रित बॉक्स में रखा गया, जहां तापमान, नमी, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को मॉनिटर करने के लिए एडवांस उपकरण लगाए गए थे।
चार दिनों के भीतर इन बीजों का सफलतापूर्वक अंकुरण हुआ। यह वैज्ञानिक दृष्टि से यह जानने के लिए किया गया था कि पौधे माइक्रोग्रैविटी में कैसे व्यवहार करते हैं। प्रयोग में हाई-क्वालिटी कैमरे और सेंसर का उपयोग कर पौधों की गतिविधियों को लगातार रिकॉर्ड किया गया।
अंतरिक्ष में पौधे उगाने की आवश्यकता क्यों?
अंतरिक्ष में पौधे उगाने के पीछे मुख्य उद्देश्य मानव जीवन को स्थायी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना है। अंतरिक्ष यात्राओं के दौरान ताजा भोजन की उपलब्धता और ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में पौधे न केवल ताजा भोजन का स्रोत बन सकते हैं, बल्कि वे कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलने की प्रक्रिया के जरिए वायु गुणवत्ता में सुधार भी करेंगे।
इसके अलावा, पौधे अंतरिक्ष यात्रियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी साबित हो सकते हैं। लंबे समय तक पृथ्वी से दूर रहने पर पौधों की देखभाल और हरियाली का अनुभव तनाव को कम करने में सहायक हो सकता है।
मंगल और चंद्रमा पर संभावना
यह प्रयोग भविष्य में मंगल और चंद्रमा पर मानव बस्तियां बसाने के लिए आवश्यक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम है। पौधों की वृद्धि अंतरिक्ष कृषि के विकास का आधार बन सकती है। इस तकनीक के जरिए मंगल और चंद्रमा जैसे ग्रहों पर खाद्य उत्पादन की संभावनाओं को भी तलाशा जा सकता है।
प्रयोग पूरी तरह सफल हुआ?
हालांकि शुरुआती परिणाम सकारात्मक हैं, लेकिन इस तकनीक को पूरी तरह विकसित होने में अभी समय लगेगा। माइक्रोग्रैविटी में पौधों की वृद्धि धीमी होती है और कई बार पोषण की कमी से समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। फिर भी, यह प्रयोग एक मजबूत नींव साबित हो सकता है और अंतरिक्ष में मानव जीवन के स्थायित्व की दिशा में नए अवसर खोल सकता है।
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Positive सार
ISRO का यह अनूठा प्रयास अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत को एक नई ऊंचाई पर ले गया है। इस सफलता से न केवल अंतरिक्ष में कृषि की संभावनाएं बढ़ी हैं, बल्कि यह प्रयोग आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत भी है।