IIT Palakkad Innovation: खोजी गई बिजली बनाने की नई तकनीक!

IIT Palakkad Innovation: पानी से बिजली बनाई जाती है। सूरज की रोशनी से बिजली बनाई जाती है। हवाओं से भी बिजली बनाई जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं इंसान के यूरिन से भी बिजली बनाने की दिशा में काम हो रहा है। जी हां ये सच है। दरअसल केरल के IIT पलक्कड़ ने एक खास इनोवेशन किया है जिसे बिजली बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

क्या है पूरी खबर?

केरल के IIT पलक्कड़ के वैज्ञानिकों ने एक नई खोज विकसित की है। जिससे इंसानी यूरीन से बिजली और खाद दोनों का प्रोडक्शन किया जा सकेगा। दरअसल बढ़ती ऊर्जा मांग और ऊर्जा के ऐसे संसाधनों की खोज तो लंबे समय तक उपयोगी हो, की जरूरत को देखते हुए ये नया आविष्कार किया गया है। ये इनोवेशन “Urine-powered, self-propelled stacked electrochemical resource recovery reactor” पर बेस्ड है।

कैसे काम करता है रिएक्टर?

यह रिएक्टर यूरिन में मौजूद आयनिक पॉवर का इस्तेमाल बिजली पैदा करने के लिए करता है। इसके साथ ही, यह नाइट्रोजन, फास्फोरस और मैग्नीशियम से युक्त जैव उर्वरक भी बनाता है। इस टेक्नीक में एक इलेक्ट्रोकेमिकल रिएक्टर, अमोनिया सोखना कॉलम, रंग हटाने और क्लोरीनीकरण रूम, प्लंबिंग और इलेक्ट्रिकल मैनिफोल्ड की मदद ली जाती है। रिएक्टर में मैग्नीशियम एनोड और एयर कार्बन कैथोड का इस्तेमाल किया जाता है। इस टेक्नीक को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है।

बिजली उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

आईआईटी पल्लकड़ का यह इनोवेशन (IIT Palakkad Innovation) कई मायनों में खास है। इससे जहां एनर्जी प्रोडक्शन के क्षेत्र में नए सौर्स जनरेट होंगे वहीं दूसरी तरफ अनवीनीकरण सौर्स पर भार कम पड़ेगा।  ऊर्जा और कृषि दोनों क्षेत्रों में बदलाव का कारण भी बनेगा।

ऊर्जा और कृषि के क्षेत्र में मदद

बिजली और खाद उत्पादन का ये सोर्स एक शानदार कदम होगा ऊर्जा और कृषि के क्षेत्र में। इस तकनीक में ऐक्रेलिक रिएक्टर यूनिट्स का भी इस्तेमाल किया गया है। इनमें एनोड और कैथोड इकट्ठा होते हैं। जब यूरीन को इन यूनिट्स में डाला जाता है तो विद्युत रासायनिक प्रोसेस शुरू होती हैं। ये प्रतिक्रियाएं बिजली और जैव उर्वरक दोनों का प्रोडक्शन करती है।

टिकाऊ कृषि को बढ़ावा

आईआईटी पल्लकड़ के इस आविष्कार से (IIT Palakkad Innovation) जैव उर्वरक नाइट्रोजन, फास्फोरस और मैग्नीशियम से भरपूर खाद मिलता है। ये पौधों को आवश्यक न्यूट्रीशन देता है। यह धीमी गति से निकलने वाले खाद है, सस्टेनेबल फार्मिंग प्रैक्टिसेस को बढ़ावा देता है।

बिजली

इससे 500 मिलीवाट (मेगावाट) बिजली और प्रति चक्र 7-12 वोल्ट का वोल्टेज उत्पन्न किया जाता है। इसका उपयोग वर्तमान में मोबाइल फोन और एलईडी लैंप को चार्ज करने के लिए हो रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे बनी बिजली का इस्तेमाल आने वाले समय में सिनेमाघरों और शॉपिंग मॉल जैसे स्थानों पर भी होगा।

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Positive सार

बता दें कि इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत साइंस फॉर इक्विटी एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट (SEED) ने फंड दिया है। आईआईटी पल्लकड़ का ये  आविष्कार (IIT Palakkad Innovation) ऊर्जा के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।

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Rishita Diwan

Content Writer

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