E vehicle: आजकल पेट्रोल के बढ़ते दाम और उनसे होने वाले प्रदूषण दोनों का अगर कुछ अच्छा ऑप्शन है तो वो है ई-व्हीकल। अब इस मार्केट में बड़ी और नामी मोटर कंपनियां भी उतर चुकी हैं। भरोसेमंद कंपनियों की गाड़ियां लॉन्च होने से अब कस्टमर्स का भरोसा भी ई-गाड़ियों में बढ़ रहा है। हाहालांकि अभी सेफ्टी और सिक्योरिटी के नजरिए से कुछ सवाल मन में है। कंपनियां लगातार माइनस प्वॉइन्टस पर काम कर रही हैं। भविष्य में ई-व्हीकल का क्रेज और भी बढ़ने वाला है।
E vehicle क्षमता और इस्तेमाल
ई-बाइसिकल हमारी पुरानी साइकिलों का ही आधुनिक वर्जन है। इसे बैटरी से भी चलाया जा सकता है और पैडल चलाकर भी। कुछ कंपनियां ऐसी ई-बाईसिकल भी बना रही हैं, जो पैडल मारने से चार्ज भी होती चली जाती हैं। इन्हें एक बार चार्ज करने पर ये 20 से 25 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से 30 से 35 किलो मीटर चल सकती हैं। बच्चों में और छोटी फैक्ट्रियों में घूमकर इंस्पेक्शन करने के लिए इसे खासा पसंद किया जा रहा है।
अपडेट की जा रही है बैटरी
पहले आने वाली ई-व्हिकल्स में लेड बैटरी का उपयोग होता था जो अपेक्षाकृत कम माइलेज देती थी लेकिन अब आ रही बाइक्स में लीथियम बैटरी का उपयोग होता है। जिसकी लाइफ भी ज्यादा होती है और माइलेज भी लेड बैटरी की अपेक्षा ज्यादा मिलता है। भारत में लीथियम बैटरी बनाने के लिए लीथियम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं था। जिसके लिए हमें ना चाहते हुए भी चाइना पर निर्भर होना पड़ता था और ई-व्हिकल की कॉस्टिंग भी बढ़ जाती थी। हाल ही में जम्मू-कश्मीर में लीथियम का भंडार मिला है। अब भारत में ही लीथियम उपलब्ध होगा तो ई-व्हीकल की कीमतें भी कम होने लगेंगी।
वन टाइम इनवेस्टमेंट
बैटरी से चलने वाली गाड़ियों पर एक बार खर्च करिए फिर घर पर ही चार्ज करके उयोग करते रहिए। बिजली का खर्च महंगे पेट्रोल खर्च से कम ही बैठता है और घर के बिजली बिल के साथ पे हो जाने के कारण अतिरिक्त बोझ का एहसास नहीं होता। यही ई-गाड़ियों की सबसे बड़ी खासियत है।
प्रदूषण रोकने का सबसे अच्छा विकल्प
पर्यावरण में होने वाले वायु प्रदूषण में रोजाना सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों से निकलने वाले धुएं का बहुत बड़ा हिस्सा होता है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के चलते ही दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन गाड़ी नंबर फॉर्मूला लागू किया था। प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए ही आजदिल्ली में ज्यादातर सरकारी बसों को ई-बस में बदल दिया गया है। दिल्ली देश का सबसे ज्यादा ई-बस चलाने वाला शहर है। बैटरी से चलने वाली गाड़ियों से धुआं नहीं निलकता इसलिए ये बजट फ्रेंडली होने के साथ-साथ ईको-फ्रेंडली भी होती हैं।
कमियों के बारे में जानना है जरूरी
ई-व्हिकल वैसे तो काफी पसंद किया जा रहा है लेकिन बैटरी के चार्ज करने की समस्या लोगों को परेशान करती है। खासकर उन लोगों को जिन्हे लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। उनके लिए अचानक बैटरी डाउन हो जाने पर चार्ज करने की समस्या खड़ी हो जाती है। देश में जैसे जगह-जगह पेट्रोल पंप है वैसी ही चार्जिंग स्टेशन डेव्हलप करने की जरूरत है।
सर्विस स्टेशन की कमी
ई-व्हिकल के सर्विस स्टेशन की कमी होने के कारण भी ग्रामीण या छोटे शहरों के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। अभी कुछ शहरों में ही ई-व्हिकल के एक्सपर्ट मैकेनिक उपलब्ध हैं। लेकिन छोटी जगहों पर ई-व्हीकल एक्सपर्ट मिलना मुश्किल होता है।
बैटरी ब्लास्ट होने की आशंका
आजकल सोशल साइट्स पर आपको ई-बाइक की बैटरी से चलने वाली गाड़ियों की बैटरी ब्लास्ट होने के वीडियो देखने को मिल रहे होंगे। जिसे देखकर लोगों के बीच डर बनते जा रहा है कि ई-बाइक्स सुरक्षित नहीं है। यह भी ई-गाड़ियों का एक नकारात्मक पक्ष बनकर सामने आ रहा है। बैटरी की गुणवत्ता बढ़ाकर इसे सुधारा भी जा सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान
- अगर आप भी ई-व्हीकल लेने की सोच रहे हैं उनसे जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखें-
- हमेशा भरोसेमंद कंपनी की ही गाड़ी लें
- गाड़ी लेते समय एक्सपर्ट से बैटरी की जांच जरूर कराएं
- कभी भी गाड़ी रात भर चार्ज में लगाकर ना छोड़ें
- बैटरी वाली गाड़ियों को गर्मी के दिनों में तेज धूप में लंबे समय के लिए ना छोड़ें
- समय-समय पर सर्विसिंग कराते रहें
E vehicle के लिए जरूरी नियम
ई-स्कूटर ज्यादा दूरी के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। इसे खरीदने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। ई-स्कूटर को सामान्य बाइक्स के जैसे ही इस्तेमाल किया जा सकता है। शुरुआती दौर में बनने वाली ई-स्कूटर लगभग 12 वोल्ट की बैटरी में 60 किमी चल जाया करती थी पर आजकल बैटरियां अपडेट होने से लगभग 80-85 से लेकर 100 किलोमीटर का माइलेज भी मिल जाता है जो लोकल काम निपटाने के लिए काफी है।