AI Track Detection System: इंडियन रेलवे दुनियां की चौथी सबसे बड़ी रेलवे बोर्ड है। रोजाना लाखों लोग ट्रेन से सफर करते हैं। रेलवे पर अपने यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी रहती है। इसलिए अब भारत में चलने वाली ट्रेनों में सुरक्षा के लिए AI ट्रैक डिटेक्शन सिस्टम से निगरानी की जा रही है। यह सिस्टम लोको पायलट को समय रहते अलर्ट कर देता है।
क्या है AI ट्रैक डिटेक्शन सिस्टम?
AI ट्रैक डिटेक्शन सिस्टम एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बेस्ड सिस्टम है। यह ट्रेन के रन के दौरान किसी भी एबनॉर्मल एक्टिविट या खतरे की पहचान कर लेता है। इस सिस्टम की मदद से 40 किलोमीटर दूर की भी ऐसी गतिविधियों को पहचाना जा सकता है जिससे खतरे की आशंका है। ऐसे में लोको पायलट के पास डिसीजन लेन के लिए पर्याप्त समय रहता है।
कैसे काम करता है AI डिटेक्शन सिस्टम?
AI ट्रैक डिटेक्शन सिस्टम अल्ट्रासोनिक सेंसर और इंफ्रारेड सेंसर की मदद से काम करता है। अल्ट्रासोनिक सेंसर से मीलो पहले ट्रैक पर हो रही हलचल का पता चल जाता है। वहीं इंफ्रारेड सेंसर से ट्रैक पर आने वाले किसी भी हर्डल को पहचाना जा सकता है। AI डिटेक्टर से पटरी पर रखे पत्थर, दरार या आगे हुए भूस्खलन तक का पता चल जाता है। जैसे ही किसी बाधा का पता चलता है और अलर्ट भेज दिया जाता है।
असम में बची हाथियों की जान
हाल ही में असम में AI ट्रैक डिटेक्शन से कई हाथियों की जान बचाई गई है। पूर्वोत्तर रेलवे की कामरूप एक्सप्रेस लामसाखांग स्टेशन पहुंचने वाली थी । तभी लोको पायलट को AI ट्रैक डिटेक्शन सिस्टम से अलर्ट मिला। लोको पायलट ने तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाया। ट्रेन के ठीक सामने 60 हाथियो का झुंड ट्रैक पार कर रहा था। हाथियों के दल के गुजरने के बाद ट्रेन आगे बढ़ाई गई।
हाथियों के एकसाथ गुजरने से हुए कंपन को AI अल्ट्रासोनिक सेंसर ने कैच किया और लोको पायलट को अलर्ट भेजा। इससे एक बड़ा हादसा को आसानी से टाल दिया गया।