Ai and robotics in school: छत्तीसगढ़ सरकार ने अब सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए ‘स्किल एजुकेशन’ को सिलेबस में शामिल करने का फैसला किया है। इस पहल की शुरुआत के लिए छत्तीसगढ़ सरकार और मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन के बीच 3 साल के लिए साझेदारी हुई है। इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा 2023 के अनुसार बनाया गया है।
बस्तर के 2 जिलों से शुरुआत
स्कील डेवलपमेंट से जुड़े इन पाठ्यक्रमों को पहले बस्तर के 800 सरकारी स्कूलों में शुरु किया जाएगा। इस पहल की शुरुआत बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों और आदिवासी क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चो को स्किल्ड बनाने के लिए किया जा रहा है। योजना की शुरुआत में पहले दो शैक्षणिक सत्र में 800 सरकारी स्कूलों में स्किल एजुकेशन देने के लिए, 1,600 टीचर्स को ट्रेन किया जाएगा। इसका फायदा 6वीं से 10वीं तक के 40 हजार छात्रों को होगा। कांकेर और कोंडागांव जिले से इस कार्यक्रम का शुभारंभ होगा बाद में पूरे प्रदेश में इसे लागू किया जाएगा।
‘नियद नेल्लानार’ योजना की शुरुआत
प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय ने इस पहल के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा- नक्सली इलाकों में ‘नियद नेल्लानार’ योजना शुरु की गई है। नियद नेल्लानार का मतलब होता है ‘आपका अच्छा गांव’। इसी योजना के तहत कैंप के पांच किलोमीटर के दायरे में बसे गांवों में 53 हितग्राहियों के लिए योजना और 28 सामुदायिक सुविधाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। पहली बार गांव के लोगों का आयुष्मान कार्ड बना और अब यहां के बच्चे भी स्किल एजुकेशन के जरिए खुद को और भी समृद्द करने वाले हैं।” मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने निर्देश दिए हैं कि आदिवासी इलाको में बच्चों को उनकी ही भाषा में शिक्षित किया जाए ताकी उनकी सांस्कृतिक पहचान बनी रहे।
योजना पर शिक्षा सचिव ने क्या कहा
छत्तीसगड़ के शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कहा कि- “स्कूलों में छात्रों को नए समय के अनुसार तैयार करना है, ताकि वे भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार रहें। हमारे सिलेबस रचनात्मक और रोजगार देने वाले होंगे, ताकि युवाओं को रोजगार के अवसर मिले और वे नए समय के हिसाब से खुद को ढाल सकें। छत्तीसगढ़ सरकार की यह कोशिश खासकर सुदूर आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों के लिए, विकसित भारत के निर्माण के तरफ एक अहम कदम है।”