हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सस्टेनेबल मटेरियल से बनी जैकेट पहन कर संसद पहुंचे। प्रधानमंत्री के इस कदम से हर नागरिक को एक प्रेरणा मिल रही है। दरअसल देश में आम उपभोक्ताओं के बीच भी इस तरह के ईको फ्रेंडली कपड़ों की मांग लगातार बढ़ रही है। हालांकि इनके दाम ज्यादा होने के चलते अभी चुनिंदा लोग ही ऐसे कपड़ों का उपयोग कर पाते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे कपड़ों के लिए लोग 40% तक ज्यादा खर्च करने के सोचते नहीं हैं।
Eco Friendly कपड़े निभा सकते हैं प्रदूषण रोकने में बड़ी भूमिका
दरअसल कपड़ा उद्योग दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों में से एक है। इसकी वजह से स्पोर्ट्स और फैशन वियर इंडस्ट्री ने खासतौर पर इको फ्रेंडली क्लोदिंग पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। ईको फ्रेंडली कपड़ों की मैन्युफैक्चरिंग में कम से कम प्रदूषण होता है। इनमें कुदरती फाइबर और रिसाइकल मटेरियल से बने कपड़े होते हैं। बता दें देश का कपड़ा उद्योग भी कार्बन फुटप्रिंट घटाने और मैन्युफैक्चरिंग में कम से कम प्रदूषण करने की दिशा में काम कर रहा है।
सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति सजग हो रहे उपभोक्ता
• कंज्यूमर सामाजिक जिम्मेदारी के चलते खरीदारी की प्राथमिकता को बदल रहे हैं।
• कंज्यूमर ये भी मानते हैं कि सीमित प्राकृतिक संसाधनों को लेकर ज्यादा सावधानी बरतनी जरूरी है।
• शहरी उपभोक्ता अगले तीन वर्षों में इको-फ्रेंडली ब्रांड्स पर खर्च कर सकते हैं।
• कुछ उपभोक्ता इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स के लिए प्रीमियम कीमत भी चुका रहे हैं।
स्वास्थ्य, पर्यावरण के लिए सुरक्षित होते हैं ईको फ्रेंडली कपड़े
इससे जुड़े जानकार और विशेषज्ञ ये मानते हैं कि ऑर्गेनिक मटेरियल का इस्तेमाल और निर्माण प्रक्रिया में पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाते हैं। यही वजह है कि इनकी लागत सामान्य कपड़ों से ज्यादा होती है। लेकिन ऐसे केमिकल रहित कपड़े पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अच्छे साबित होते हैं।
एक सर्वे रिपोर्ट की मानें तो भारत के करीब 60% उपभोक्ता इको फ्रेंडली कपड़ों के लिए ज्यादा दाम चुकाने के लिए भी तैयार रहते हैं।