अब कम लागत में बनेगी ग्रीन हाइड्रोजन, भारतीय इंजीनियरों ने निकाला हल!

नेचर कम्युनिकेशंस (Nature Communications) ने हाल ही में एक रिसर्च को पब्लिश किया है जिसके मुताबिक भारतीय इंजीनियर्स ने एक इंटीग्रेटेड फोटोरिएक्टर तैयार किया है, जिससे 20.8% सोलर से हाइड्रोजन कन्वर्जन एफिशियन्सी हासिल की गई है। ये कमाल किया है गुजरात में इंजीनियरों की एक टीम ने। उनके द्वारा बनाया गया ये डिवाइस सूरज की रोशनी से हाइड्रोजन बनाता है। ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए इसे एक सस्ता जरिया माना जा रहा है।
 

सूरज की रोशनी से बनेगी हाइड्रोजन

इंजीनियर्स की एक टीम ने एक ऐसा डिवाइस को डेवलप किया है जो सूरज की रोशनी से हाइड्रोजन बना सकता है। इस टीम को आदित्य मोहिते नाम के इंजीनियर ने लीड किया है। फीडस्टॉक को फ्यूल में बदलने के लिए सोलर एनर्जी का इस्तेमाल कर इससे बिजली बनाई जा सकेगी। यही नहीं इस डिवाइस से बनने वाला ग्रीन हाइड्रोजन एकदम कम लागत पर बनेगा। ये एक इंटीग्रेटेड फोटोरिएक्टर है जिससे 20.89% सोलर से हाइड्रोजन कन्वर्जन एफिशियन्सी हासिल की गई है।

 

कैसे करेगा काम?

दरअसल, केमिकल बनाने के लिए एनर्जी सोर्स के रूप में सूरज की लाइट का इस्तेमाल करना क्लीन एनर्जी इकॉनमी के लिए सबसे बड़ी मुश्किलों में से एक है। हालांकि, राइस यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों ने एक ऐसा सिस्टम बनाया जो लाइट को अब्सॉर्ब करता है और इसकी सतह पर एलेक्ट्रोकेमिकल वाटर स्प्लिटिंग केमिस्ट्री को पूरा कर लेता है। इस डिवाइस के  फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल सेल का नाम दिया गया है।

 
ये डिवाइस लाइट को अब्सॉर्थ कर इसे बिजली में बदलता है, और केमिकल रिएक्शन को पॉवर शक्ति देने के लिए उसी बिजली का इस्तेमाल करता है। इसे बनाने वाली टीम ने एक वेबसाइट को बताया कि “अब तक, ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल तकनीक का उपयोग कम किया जाता था। अब सोलर सेल को एक रिएक्टर में बदलकर डिवाइस तैयार किया गया है जो पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में बांटकर स्टोर की गई एनर्जी का उपयोग करता है।
 
फिलहाल जो टेक्नीक इस्तेमाल की जा रही है उसमें इस तरह के सभी डिवाइस केवल सूरज की लाइट और पानी का उपयोग करके ग्रीन हाइड्रोजन का प्रोडक्शन करते हैं। लेकिन ये डिवाइस अलग है, इसमें रिकॉर्ड ब्रेकिंग कैपेसिटी है साथ ही ये काफी सस्ता भी है।
 
जहां एक तरफ दुनियाभर में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ ऐसे इनोवेशन एक उम्मीद बनकर सामने आते हैं। भारतीय इंजीनियरों का ये इनोवेशन भारत के साथ ही वैश्विक स्तर पर काफी मददगार साबित होगी।

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Dr. Kirti Sisodia

Content Writer

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