Mission Gaganyan: साल 1975 में भारत ने अपने पहले स्पेसक्राफ्ट को लॉच किया था। कम संसाधन, सबसे कम लागत और गिने-चुने वैज्ञानिकों लेकिन सबसे काबिलों की बदौलत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान की नींव पड़ी। ये साल 2023 है जहां हमने मंगलयान, चंद्रयान और न जाने कितने ही सैटेलाइट लॉच कर अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बड़ा नाम हैं। हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने मिशन चंद्रयान को सफल कर एक उपलब्धि हासिल की है। इसके बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो अपने गगनयान अभियान की उड़ानों के परीक्षणों की शुरुआत करने वाला है। इसके लिए 21 अक्टूबर 2023 को तय किया गया है।
साल 2025 तक गगन यान अभियान की शुरूआत हो जाएगी। ये मिशन पूरी तरह से देश में ही तैयार हुए अंतरिक्ष यान के जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की पहली कक्षा में ले जाएगा। गगनयान की पहली क्रू रहित उड़ान अगले साल के अंत में भरी जाएगी। मिशन गगनयान भारत के अंतरिक्ष विज्ञान तकनीक में एक नई छलांग होगी क्योंकि यह पहली बार होगा जब भारत अपनी स्वदेशी तकनीक से ना केवल अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा बल्कि बल्कि पहली बार ही अंतरिक्ष से वापस सुरक्षित लाने का भी मिशन पूरा करेगा।
खास है ‘मिशन गगनयान’
इस मिशन से इसरो (Isro) इंसानों को पृथ्वी की निचली कक्षा में सात दिनों तक करीब 300 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर भेजेने वाला है। इसके लिए स्पेश यात्रियों के लिए खास तरह का स्पेस सूट भी डिजाइन किया गया है। यात्रियों के रहने के लिए प्रशिक्षण कार्य में रूस का सहयोग भारत को मिला है। वहीं उनके लिए कैप्सूल का निर्माण इसरो ने खुद किया है, जिसमें स्पेश यात्रियों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाएगा।
महत्वूर्ण परीक्षणों पर हो रहा काम
गगनयान अभियान पृथ्वी की कक्षा में भेजे जाने वाला मानव अतरिक्ष यान है जिसमें तीन भारतीय वैज्ञानिक सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में जाएंगे। उसके बाद उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस भी लाया जाएगा। इससे पहले इसरो दो मानव रहित यानों को अंतरिक्ष में परीक्षण के तौर पर भेजने वाला है।
जिस तरह से दुनिया में अमेरिका, रूस और चीन के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में जाकर रिसर्च कर रहे हैं वहीं अब भारतीय वैज्ञानिक भी गगनयान की मदद से अंतरिक्ष जाएंगे। भारत का यह मिशन काफी अहम है क्योंकि भारत पहली बार ऐसा कर रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान टेक्नॉलजी में नई छलांग
इस मिशन की सफलता के बाद से अंतरिक्ष पर्यटन और उसे जुड़े कई क्षेत्र भारत और इसरो के लिए खुलेंगे। भारत का अपना स्पेश स्टेशन बनेगा। इसके साथ ही इसरो की अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोग करने की क्षमता बढ़ेगी। भारत का यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान विज्ञान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।