हमारी डेली यूज की हर एक चीज कहीं न कहीं प्रदूषण का कारण बन रही है। प्लास्टिक, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, कटते पेड़ ने वातावरण को पूरी तरह से प्रदूषित किया है। इसके अलावा पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक बना है वायु प्रदूषण जिसकी वजह से अब हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने लगा है। वायु प्रदूषण जैसी परेशानी से लड़ने के लिए कुछ युवाओं ने मिलकर एक स्टार्टअप तैयार किया है जो फसल के बचे हुए वेस्ट से बनाते हैं बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट।
यह एक ऐसा स्टार्टअप है जिसकी मदद से बायोडिग्रेडेबल और सस्टेनेबल प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं जिससे प्रदूषण को कम करने की दिशा में काम हो रहा है। हम बात कर रहे हैं Dharaksha Ecosolutions स्टार्टअप प्रोडक्ट्स की जो एक सस्टेनेबल और स्केलेबल लाइन बनाने के लिए बायोटेक्नोलॉजी और फाइनेंसियल मॉडलिंग तकनीक का इस्तेमाल कर बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट बनाता है।
पराली के जलाने के बजाए बना रहे हैं बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट
पराली को जलाने से वायु प्रदूषण होता है। लेकिन ये स्टार्टअप फसल के बाद बचे हुए वेस्ट में मशरुम उगाने का काम करता है। इस कंपनी ने फंगी की एक ख़ास प्रजाति को अलग किया है जिसका इस्तेमाल वो धान की फ़सल से बचे हुए कचरे पर करते हैं। फसल के बचे हुए वेस्ट को प्रोसेस कर एक ऐसा बायोकम्पोस्ट तैयार किया जाता है जिसकी प्रॉपर्टीज थर्मोकोल से मिलती है। कंपनी कहती है कि पारंपरिक थर्मोकोल की तुलना में ये बायोकम्पोस्ट 60 दिनों में पूरी तरह से बायोडिग्रेड हो जाते हैं, जबकि पारंपरिक थर्मोकोल को 4,000 साल का समय लगता है। कंपनी एक साल में लगभग 5 लाख टन polystyrene तैयार करती है।
जानें कौन हैं इसे बनाने वाले अर्पित?
कंपनी के को-फाउंडर अर्पित एक युवा इंजीनियर हैं। इंजीनियरिंग के बाद अर्पित ने आई.आई.टी दिल्ली से डिजाईन ऑफ़ मैकेनिकल एलिमेंट में मास्टर्स पूरा किया। उन्होंने धरक्षा इकोसलूशन से पहले, क्लीनटेक स्टार्टअप चक्र इनोवेशन में चीफ टेक्निकल ऑफिसर के तौर पर काम किया है। वहीं कंपनी के दूसरे को-फाउंडर आनंद बोध इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग से ग्रेजुएट हैं।