सूरज और पौधों के बीच लिंक: नेचर एक बड़ी पहेली है, इसे सुलझाने कई सालों से कई रिसर्च किए जा रहे हैं। हाल ही में हुए एक रिसर्च पर बात करें तो इसमें पता लगाया गया कि पेड़-पौधों को इंसान की तरह व्यवहार के लिए, जीवन के लिए जाना जाता है तो ये काम कैसे करते हैं।
दरअसल ये प्रकाश की मदद से सबकुछ करते हैं लेकिन ये सोचने लायक है कि कैसे पेड़-पौधों को रोशनी की दिशा, हवा की दिशा का पता लगता है। ऐसे ही कुछ दिलचस्प सवालों के जवाब यहां मिलते हैं।
सूरज और पौधों के बीच लिंक में सूरजमुखी मिसाल
बहुत सारे पौधे ये पता लगाने में माहिर होते हैं कि सूर्य की रोशनी कहां से आ रही है और उसके मुताबिक अपने अंदर की गतिविधियों को कैसे निर्धारित करना है। ऐसा नहीं है कि पौधों में दिमाग नहीं होता है ना ही देखने वाली आंखें होती हैं तो आखिर उन्हें ये कैसे पता चलता है कि सूर्य की रोशनी कहां से आ रही है। इस उलझन को वैज्ञानिकों ने सुलझाया है कि आखिर पौधों को रोशनी की दिशा का अंदाजा किस तरह होता है।
टिश्यू की खास भूमिका
जीवविज्ञान और इंजीनियरिंग की एक्सपर्टिज वाले एक रिसर्च से ये सामने आया है कि पौधों में एक खास तरह के प्रकाश संवेदी टिश्यू होते हैं जो हवा और पानी की अंतरक्रिया के प्रकाशीय गुणों का उपयोग कर एक प्रकाशीय ग्रेडिएंड तैयार करते हैं जिससे पौधे को इस बात का पता चल जाता है कि सूर्य की रोशनी किस दिशा से आ रही है.
जीवों में भी यही खूबी
इस रिसर्च के मुताबिक खास बात ये है कि बहुत सारे जीवों, इनमें सूक्ष्मजीव, पौधे और कुछ जानवर तक शामिल हैं, इनमें भी इसी तरह की खास बात होती है। वे प्रकाश के स्रोत की दिशा का पता आसानी से लगा लेते हैं जबकि उनमें आंख जैसा देखने वाला कोई अंग नहीं होता है। पौधे इस जानकारी का उपयोग कर खुद को सही स्थिति में ले आते हैं जिसे सूर्य की रोशनी उन्हें ज्यादा से ज्यादा मिलती है।
प्रकाशीय ग्रेडिएंट से तय होता है सब
जीवों, पेड़-पौधों को जब कोशिकाओं के बीच हवा के होने का कारण पता लगाया गया तो पाया कि इससे प्रकाश संवेदी तना एक तरह का प्रकाश ग्रेडिएंट अपने आप बनाता है। जिससे पौधे को पता चलता है कि प्रकाश किस तरफ से आ रही है। यह प्रोसेस हवा और पानी के विभिन्न प्रकाशीय गुणों के कारण संपन्न होते हैं जिससे टिश्यू तैयार होते हैं।