इस रिसर्च से जुड़ी एक शोधकर्ता करती हैं कि, आपने बच्चों को वर्कआउट करते जरुर देखा होगा, वे एक्सरसाइज करते समय गलतियां करने या मूर्ख दिखने को लेकर जरा भी परेशान नहीं रहते हैं। बेहतर वर्कआउट के लिए एक बच्चे की तरह सोचना एकदम जरूरी है। अच्छे नतीजों के लिए बचपन की ओर देखें, बचकानी चीजें होने दें। इसका सीधा संबंध मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है।
लोग क्या कहेंगे ये सोचना छोड़ दें
ज्यादातर लोग ये सोचते हैं कि लोग क्या कहेंग इसलिए वो अपने पसंद का काम नहीं कर पाते हैं। लेकिन इस पर हुए रिसर्च के मुताबिक आप अपने मन के मुताबिक व्यायाम या वर्कआउट करें। संकोच करते हुए एक्सरसाइज से आपको नुकसान हो सकता है।
संकोच से बचें
लोगों में किशोरावस्था शुरू होते-होते गंभीरता आ जाती है। एक्सरसाइज के आनंद को दोबारा खोजने का फॉर्मूला है, पहले की यादों को ताजा करें। इसमें पेड़ों पर चढ़ना, रेलिंग पर बैलेंस बनाना और चारों तरफ लिपटना जैसे बचकानी चीजों को शामिल करें। इससे नजरिया ही बदलता है।
बच्चों जैसा करें, नए तरीके खोजें
बच्चों को खेलते हुए जरूर देखा होगा। बच्चे लंबे समय तक लगातार नहीं चलते वे रुकते हैं, खेलते हैं फिर से वे ऊर्जा का इस्तेमाल रुक-रुक कर करते हैं। इसके अलावा वॉक के दौरान दौड़ने या कूदने जैसी चीजें शामिल करें।