

Nobel Prize 2022: ‘मानव विकास’ से जुड़ी कई अनसुलझे सवालों को सुलझाने के लिए स्वीडन के वैज्ञानिक स्वांते पाबो (Svante Paabo) को साल 2022 का पहला नोबेल प्राइज के लिए चुना गया है। पाबो को मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार मिलेगा। जिसे दुनिया में वैज्ञानिक वर्ग का सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित सम्मान कहा जाता है। यह पुरस्कार इसलिए भी खास है क्योंकि 40 साल पहले पाबो के पिता स्यूने बर्गस्ट्रॉम (Sune Bergstrom) को भी 1982 में मेडिसिन का ही नोबेल पुरस्कार मिल चुका है।
स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल असेंबली की तरफ से इस सम्मान के लिए पाबो को करीब 9 लाख डॉलर (करीब 7.35 करोड़ रुपये) मिलेंगे। पाबो को 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में एक समारोह के दौरान यह पुरस्कार दिया जाएगा।
मानव विकास से जुड़ी है पाबो की खोज
पाबो ने ‘विलुप्त होमिनिन (Hominin) के जीनोम और मानव विकास के संबंध’ में अपनी खोज की है। होमिनिन ऐसी प्रजातियों की टैक्सोनोमिक जनजाति है, ऐसा माना जाता है ये मानव जैसे ही थे। लेकिन बाद में विलुप्त हो गए। इनका संबंध मानव विकास की पूर्ण प्रक्रिया के समय मनुष्यों के पूर्वजों से बेहद निकटता से रहा है। पाबो की खोज से मानव विकास के दौरान इन प्रजातियों के विलुप्त होने की वजह से पर्दा उठा है। पाबो की खोज से साबित हुआ है कि वर्तमान में मानव का DNA दो विलुप्त प्रजातियों नेंद्राथल्स (Neanderthals) और डेनिसोवान्स (Denisovans) से मिलता है।
स्वांतो पाबो के बारे में
स्वांतो पाबो लीपजिग (Leipzig) शहर के मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट ऑफ इवोल्यूशनरी एंथ्रोपॉलोजी (Max Planck Institute for Evolutionary Anthropology) में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत् हैं। साल 1955 में स्वीडन के स्टॉकहोम में उनका जन्म हुआ था। पाबो ने अपनी मेडिकल स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ उप्पासला से पूरी की और बाद में उन्होंने 1980 में उप्पासला के डिपार्टमेंट ऑफ सेल बायोलॉजी व रोचे इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलीक्यूलर बायोलॉजी में पार्ट टाइम रिसर्च व टीचिंग की शुरूआत की थी। साल 1986 में उन्होंने अपनी PHD पूरी की और जिस स्टडी के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिल रहा है उस स्टडी को उन्होंने जर्मनी में यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख में की थी।