

बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो परोपकारवश अपने शरीर के कुछ ऑर्गन डोनेट करना चाहते हैं। पर कई बार लंबी प्रक्रियाओं में उलझकर कुछ लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देशित किया है, जिसके मुताबिक अंग प्रत्यारोपण (organ transplantation) के नियमों को आसान किया है। इसके तहत अब कैडेवर ट्रांसप्लांट (cadaver transplant) रजिस्ट्री में पंजीकरण कराने के इच्छुक रोगियों के लिए अधिवास
प्रमाण पत्र (domicile certificates) जमा करने की शर्त लगाने वाले कुछ राज्यों पर जांच करने और उचित कार्रवाई होगी।
पीटीआई-भाषा की एक रिपोर्ट के मुताबिक आधिकारिक सूत्रों ने कहा है, कि एक समान नीति, “मरीजों को देश के किसी भी अस्पताल में मृत दाताओं से प्रत्यारोपण की मांग करने में सहायक होगा। जिससे उन्हें बहुत अधिक लचीलेपन की सुविधा मिलेगी”
‘एक राष्ट्र, एक नीति’ की खास बातें
पॉलिसी की खास बात यह है कि देश में अंग प्रत्यारोपण के प्रति लोगों को जागरुक करने की दिशा में सरकार लगातार कदम उठा रही है। वहीं अब सरकार ने अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को और सरल बनाने के लिए नियमों में कुछ बदलाव किया है। भारत सरकार इसके लिए भी ‘वन नेशन, वन पॉलिसी’ लागू करने की दिशा में काम कर रही है।
यह पॉलिसी देश के किसी भी अस्पताल में मृतक दाताओं से प्रत्यारोपण की मांग करने में मरीजों की सहायता करेगा। अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने के लिए भारत सरकार ने निवास प्रमाण पत्र की जरूरत को भी हटाने का काम किया है। इसके संबंध में सभी राज्यों को जानकारी दे दी गई है।
नीति को और मजबूत करेगी सरकार
यही नहीं इस नीति के मुताबिक मृतक दाता से अंग प्राप्त करने वाले रोगियों के पंजीकरण के लिए 65 वर्ष की आयु सीमा को भी खत्म कर दिया गया है।
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (National Organ & Tissue Transplant Organisation – NOTTO) ने दिशा निर्देशों में सभी जरूरी बदलाव किए गए हैं, इसके मुताबिक अब 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के रोगियों को मृत दाता से अंग प्राप्त करने के लिए खुद को पंजीकृत करने की अनुमति दिया गया है। सभी नए नियमों को को NOTTO की वेबसाइट पर डाला गया है।
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