Leprosy control: भारत ने एक बार फिर वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में अपनी मजबूती साबित की है। पिछले 44 वर्षों में देश ने कुष्ठ रोग (Leprosy) के प्रसार को 99% तक घटाकर एक अद्भुत सफलता हासिल की है। यह उपलब्धि न केवल चिकित्सा प्रणाली की क्षमता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति, तकनीकी नवाचार और सामुदायिक सहयोग एक साथ आते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है।
कहानी कहते आंकड़े
- 1981 में भारत में कुष्ठ रोग की प्रसार दर 57.2 प्रति 10,000 जनसंख्या थी और इलाजाधीन मरीजों की संख्या 39.19 लाख थी।
- 2025 में यह घटकर सिर्फ 0.57 प्रति 10,000 रह गई और इलाजाधीन मरीजों की संख्या मात्र 0.82 लाख पर आ गई।
- कुल प्रसार दर में 99% और इलाजाधीन मरीजों में 98% की गिरावट दर्ज की गई है।
- यह गिरावट भारत के राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) के प्रभावी क्रियान्वयन और जनता की जागरूकता का नतीजा है।
कुष्ठ रोग क्या है?
कुष्ठ रोग, जिसे हेंसन रोग (Hansen’s Disease) भी कहा जाता है, एक दीर्घकालिक संक्रामक बीमारी है जो Mycobacterium leprae नामक बैक्टीरिया से होती है। इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं,
- त्वचा पर धब्बे या रंग बदलना
- दर्द और स्पर्श का अनुभव न होना
- मांसपेशियों में कमजोरी
- चेहरे, हाथ-पैर में विकृति
- आंखें बंद न कर पाना और दृष्टि दोष
यह रोग नाक और मुँह से निकलने वाली बूंदों के ज़रिए रोगी के नज़दीकी संपर्क से फैलता है। हालांकि, यह बहुत धीमी गति से फैलने वाली बीमारी है और समय पर इलाज से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
MDT ने बदली दिशा
- भारत ने 1983 में मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) लागू की, जिसमें रिफैम्पिसिन (Rifampicin), क्लोफाजिमीन (Clofazimine) और डैप्सोन (Dapsone) जैसी दवाओं का उपयोग किया गया।
- MDT के कारण रोगियों का इलाज न केवल प्रभावी हुआ, बल्कि संक्रमण के फैलाव को भी रोका जा सका।
- इसने कुष्ठ रोगियों में स्थायी विकृतियों और सामाजिक बहिष्कार जैसी समस्याओं को कम किया।
राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP)
1983 में शुरू हुआ राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP), भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संचालित है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य था,
- हर स्तर पर कुष्ठ रोग की समय पर पहचान और इलाज
- मुफ्त MDT आपूर्ति
- जनजागरूकता अभियान
समुदाय की भागीदारी
मार्च 2005 तक भारत ने राष्ट्रीय स्तर पर कुष्ठ रोग उन्मूलन (यानी प्रसार दर 1 से कम) की स्थिति हासिल कर ली थी। 2025 तक 31 राज्यों और 638 जिलों में यह दर 1 से नीचे आ चुकी है।
सरकार ने कुष्ठ रोग की स्क्रीनिंग को अब कई राष्ट्रीय योजनाओं में जोड़ा है, जैसे-
- आयुष्मान भारत योजना
- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK)
- राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (RKSK)
इससे ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर रोग की जल्दी पहचान और इलाज संभव हो पाया है।
2030 का लक्ष्य
भारत सरकार का अब अगला बड़ा लक्ष्य है। 2030 तक कुष्ठ रोग के प्रसार को पूरी तरह रोकना।
इसके लिए तीन प्रमुख स्तंभ अहम होंगे,
- राजनीतिक प्रतिबद्धता
- पर्याप्त वित्तपोषण
- जनभागीदारी और जागरूकता
भारत का स्वास्थ्य चमत्कार
भारत की यह उपलब्धि केवल एक चिकित्सकीय जीत नहीं है, बल्कि यह मानवता की जीत है। जहाँ कभी कुष्ठ रोग सामाजिक कलंक का प्रतीक था, वहीं आज भारत ने इसे लगभग समाप्त कर दिखाया है। यह कहानी है संकल्प, विज्ञान और सामूहिक प्रयासों की, जो दिखाती है कि सही नीति और सतत प्रयासों से कोई भी बीमारी अजेय नहीं रहती।