Millets Year 2023: साल 2023 को ‘मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया गया है। दुनियाभर के 70 देशों ने इसे मनाने के लिए हामी भरी है। मिलेट ईयर (Millets Year 2023) को सेलीब्रेट करने के पीछे भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। दरअसल भारत के प्रस्ताव पर ही यूनाइटेड नेशन ने साल 2023 को मिलेट ईयर के रूप में मनाने की घोषणा की है। मोटा अनाज वर्ष मनाने के पीछे केंद्र सरकार की कोशिश है कि देश का हर राज्य अधिक से अधिक मोटा अनाज का उत्पादन और खपत करे।
मोटा अनाज
इनके नामों से हम अपरिचित नहीं हैं। मौसम के बदलने पर बाजरे, मक्के, और ज्वार की रोटी को शौकिया तौर पर खाया जाता है। लेकिन कम ही लोग इनके गुणों के बारे में जानते हैं। इनके अलावा जई, कोदो, कुटकी, रागी और समा भी मोटे अनाज की लिस्ट में शामिल हैं।
मोटा अनाज है खास
मोटा अनाज गुणों पोषण के गुणों से भरपूर है। मोटे अनाज की सबसे खास बात यह है कि इनमें काफी मात्रा में रेशा पाया जाता है। इस रेशे के घुलनशील और अघुलनशील दोनों ही रूप हमारे शरीर में पाचन तंत्र के लिए लाभदायक माने गए हैं। वरदान की तरह काम करते हैं। घुलनशील रेशा पेट में क़ुदरती तौर पर मौजूद बैक्टीरिया को सहयोग करके पाचन (Digestion System) को बेहतर बनाता है। वहीं अघुलनशील रेशा पाचन तंत्र से मल को इकट्ठा करने और उसकी आसान निकासी में मददगार होता है। मोटा अनाज काफी मात्रा में पानी सोखता है यानी व्यक्ति को मोटा अनाज खाने के बाद प्यास भी ख़ूब लगती है, जो पाचन तंत्र के लिए बहुत लाभदायक है।
इसे आसान शब्दों में समझें तो महीन अनाज खाने और व्यायाम से दूर रहने की वजह से कब्ज़ियत और शरीर के फूलने जैसी बिन बुलाई बीमारियों से हमें सुरक्षा मिलती है। मोटा अनाज ऐसी सभी बीमारियों का सटीक उपचार है। गेहूं में मिलने वाला प्रोटीन ग्लूटेन इन अनाजों में नहीं पाया जाता है जिसकी वजह से ये पाचन को बेहतर बनाते हैं।
मोटे अनाज के गुण
कैलोरीज़ और प्रोटीन की अनियमितता वाले कुपोषण से लड़ने में मोटे अनाज काफी मददगार होते हैं। मोटे अनाज में आयरन, कैल्शियम, विटामिन बी जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। मोटे अनाज को भोजन में शामिल कर हम कई बीमारियों को दूर भगा सकते हैं।
आसान है मोटे अनाज की फार्मिंग
मोटे अनाजों को घास की तरह उगने वाला अनाज भी कहते हैं। क्योंकि ये तेजी से बढ़ते हैं। मोटे अनाज को उगाने के लिए बहुत अधिक संसाधनों की भी ज़रूरत नहीं पड़ती है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक विश्व में में 735.55 लाख हेक्टेयर में मोटा अनाज की खेती हो रही है। भारत में राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात मोटा अनाज के बड़े उत्पादक हैं। यहां 80 फीसदी से अधिक मिलेट का उत्पादन किया जाता है।