बेहतर डाइट फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ मेंटल हेल्थ के लिए भी काफी जरूरी है। रिसर्च में ये बात सामने आयी है कि एक विशेष आहार का इस्तेमाल हमारे मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकता है। WHO के अनुसार दुनियाभर में 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया का सिकार हैं। जिसमें 40% मामलों को व्यायाम, नींद और बेहतर डाइट से रोका जा सकता है।
हाल ही में हुए कई रिसर्च इस बात का दावा करते हैं कि डिमेंशिया से बचने के लिए ‘माइंड डाइट’ को सबसे बेहतर माना जाता है। जो लोग माइंड डाइट को फॉलो करते हैं, उनकी याददाश्त कमजोर होने का रेट प्रतिशत कम होता है। साथ ही उनमें डिमेंशिया का खतरा नहीं होता है।
माइंड डाइट के बारे में सबसे पहले बात रश यूनिवर्सिटी के पोषण विशेषज्ञ मार्था क्लेयर मॉरिस ने किया था। जो लोग डीएएसएच और मेडिटेरेनियन डाइट को फॉलो करते हैं और फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, प्रोटीन और हेल्दी प्रोटीन लेते हैं, उनमें डिमेंशिया के लक्षण नहीं होते। यह भी देखा गया कि लीव वेजीटेबल, जामुन, नट्स और साबुत अनाज जैसे स्पेशल फूड मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े है।
याददाश्त को कमजोर होने से बचाती है प्रोबायोटिक डाइट
प्रोबायोटिक्स उम्र बढ़ने से साथ याददाश्त और सोचने की क्षमता को कमजोर होने से रोकता है। इससे अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों के असर को कम कर सकते हैं। प्रोबायोटिक यानी की अच्छी बैक्टीरिया या वायरस।
कुछ बैक्टीरिया हमारे हेल्थ के लिए अच्छे होते हैं। तो कुछ हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं। दोनों तरह के बैक्टीरिया हमारे रेस्पिरेटरी (श्वास नली) और डाइजेस्टिव सिस्टम (पेट/गट) में ‘चेक एंड बैलेंस’ के लिए जिम्मेदार होते हैं। अगर कोई व्यक्ति आपनी किसी बीमारी की वजह से एंटीबायोटिक गोलियां ज्यादा खा रहा है तो इसके नुकसान को कम करने के लिए प्रोबायोटिक्स काम में आते हैं। इन प्रोबायोटिक्स को फूड और न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स के जरिए लिया जाता है।
प्रोबायोटिक फूड के लाभ
पचाने में मदद
प्रोबायोटिक फूडसप्लीमेंट्स पेट (गट) में अच्छे बैक्टीरिया को ग्रो करते हैं। ये गट-फ्रैंडली बैक्टीरिया भोजन के प्रतिरोधी फाइबर को तोड़ कर डाइजेशन को सही करने का काम करते हैं।
वेट मैनेजमेंट
रेसिस्टैंट स्टार्ट के टूटने से ब्यूटायरेट नाम का कंपाउंड बनता है, यह मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने में हेल्पफुल होता है। जिसकी वजह से वेट मैनेजमेंट होता है। ब्यूटायरेट मोटापे को भी दूर करता है।
रेसिस्टैंट स्टार्ट के टूटने से ब्यूटायरेट नाम का कंपाउंड बनता है, यह मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने में हेल्पफुल होता है। जिसकी वजह से वेट मैनेजमेंट होता है। ब्यूटायरेट मोटापे को भी दूर करता है।
इम्यूनिटी
70 फीसद इम्यून सिस्टम डाइजेशन सिस्टम से जुड़ा होता है। जो गट-फ्रैंडली बैक्टीरिया से पूरा होता है। इसलिए प्रोबायोटिक फूड इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में हेल्पफुल होते हैं। अगर शरीर में हेल्दी गट-बैक्टीरिया की कमी है तो ऑटोइम्यून बीमारियां जैसे क्रोहन या अल्सरेटिव कोलिटिस की परेशानी हो सकती है। प्रोबायोटिक शरीर में नेचुरल एंटीबॉडीज को बनाने का काम करते हैं।
70 फीसद इम्यून सिस्टम डाइजेशन सिस्टम से जुड़ा होता है। जो गट-फ्रैंडली बैक्टीरिया से पूरा होता है। इसलिए प्रोबायोटिक फूड इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में हेल्पफुल होते हैं। अगर शरीर में हेल्दी गट-बैक्टीरिया की कमी है तो ऑटोइम्यून बीमारियां जैसे क्रोहन या अल्सरेटिव कोलिटिस की परेशानी हो सकती है। प्रोबायोटिक शरीर में नेचुरल एंटीबॉडीज को बनाने का काम करते हैं।
बेहतर नींद में मददगार
लैक्टोबैसिलस हेल्वेटिकस और बिफीडोबैक्टीरियम लोंगम नामक प्रोबायोटिक बैक्टीरिया एंग्जाइटी के लक्षमों को कम करने का काम करते हैं जिससे नींद बेहतर होती है।
लैक्टोबैसिलस हेल्वेटिकस और बिफीडोबैक्टीरियम लोंगम नामक प्रोबायोटिक बैक्टीरिया एंग्जाइटी के लक्षमों को कम करने का काम करते हैं जिससे नींद बेहतर होती है।