Postal ballot: इंडियन डेमोक्रेसी की खूबसूरती है मतदान का अधिकार, इसके जरिए सरकार का चुनाव जनता करती है। इसीलिए भारत के चुनाव में ये पूरी कोशिश होती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग मतदान करें और लोगों को अपनी चुनी हुई सरकार मिले। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि देश के कई लोग चुनाव के मौके में अपने (State assembly Election) घर जार कर वोट नहीं दे सकते हैं। ऐसे लोगों के लिए ये व्यवस्था की जाती है ताकि उनके वोट का अधिकार इस्तेमाल हो सके। इस नियम के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि अगर किसी वजह से वोटर अपने घर ये विधानसभा क्षेत्र से दूर है तो वो वोट डाल सके। इसके लिए पोस्ट बैलेट (Postal ballot) या डाकमतपत्र या डाकपत्र (Postal ballot) का विकल्प होता है। जानते हैं क्या है ये पोस्टल बैलेट नियम और इसका (State assembly Election) मैनेजमेंट कैसे होता है और ऐसे कौन से लोग होते हैं जो पोस्टल बैलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सैनिकों के लिए लाभदायक
भारत में बहुत से ऐसे लोग है जिनके लिए चुनाव में वोट डालना मुश्किल होता है। इन लोगों में सबसे पहले वे सैनिक होते हैं जो देश की सीमा पर तैनात हैं और चुनाव के लिए नहीं आ सकते हैं। इसमें नेवी, थल सेना और वायु सेना के (Postal ballot) जवान भी होते हैं जो देश से दूर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे ही लोग जो देश से राज्य से और काफी महत्वपूर्ण कार्यों में लगे हैं उन्हें पोस्टल बैलेट (Postal ballot) की सुविधा दी जाती है।
चुनाव के काम में लगे कर्मचारियों के लिए फायदेमंद
भारत में चुनाव प्रक्रिया काफी मेहनत का काम है इसमें कई लोग शामिल होते हैं। बड़ी संख्या में पुलिस से लेकर सरकारी कर्मचारी चुनाव के (State assembly Election) कामों को पूरा करवाते हैं। ऐसे में पोस्टल बैलेट (Postal ballot) उनके लिए उपयोगी होता है। ये लोग भी अपने क्षेत्र में जा कर वोट नहीं कर पाते हैं, भारत जैसे देश में इनकी संख्या काफी होती है। ऐसा ही कुछ देश से या अपने घर से बाहर नियुक्त होते हैं।
डाकमतपत्र के बारे में
चुनाव आयोग यह पहले ही तय करता है कि किन लोगों को और कितने लोगों को पोस्टल बैलेट देना होता है। इसके बाद इन्हीं लोगों को कागज में छपे मुद्रित खास मतपत्र भेजते हैं। यही पोस्टल बैलेट (Postal ballot) होते हैं। इस प्रक्रिया को इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांस्मिटेड (State assembly Election) पोस्टल बैलेट सिस्टम (ईटीपीबीएस) से कंडक्ट किया जाता है। इस मतपत्र को हासिल करने वाले नागरिक अपने पसंदीदा कैंडिडेट को चुन कर इलेक्ट्रॉनिक या डाक से चुनाव आयोग को वापस कर सकते हैं।
कैदियों के लिए नियम
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के अंतर्गत पुलिस की कानूनी हिरासत में और दोषी ठहराए जाने के बाद कारावास की सज़ा काटने वाले व्यक्ति (State assembly Election)मतदान नहीं दे सकते हैं लेकिन ऐसी व्यवस्था से प्रिवेंटिव डिडेंशन में रखे गए व्यक्ति को भी डाकमत्र (Postal ballot) से वोट डालने का अधिकार मिल सकता है।
कुछ के लिए पंजीयन जरूरी
नियम के तहत कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो इस तरह से आवेदन देने के बाद ही मतदान करने की सुविधा ले सकते हैं। दिव्यांग व्यक्ति जो मतदान केंद्र तक पहुंचने में सक्षम (State assembly Election) नहीं होते हैं। और 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग जो मतदान केंद्र तक नहीं जा सकते हैं वो भी पंजीयन करने के बाद वोट दे सकते हैं। इन लोगों के लिए जरूरी है कि पहले से ही डाकमत्र के लिए इन्होंने रजिस्ट्रेशन करवाया हो।
ऐसे की जाती है पोस्टल बैलेट की गिनती
चुनाव आयोग के (State assembly Election) नियमावली 1961 के नियम 23 में संशोधन कर लोगों को पोल्टल बैलेट या डाक मतपत्र (Postal ballot) की मदद से चुनाव में वोट डालने की सुविधा दी गई है। चुनावों में वोटों की गिनती के दौरान सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती की शुरूआत की जाती है। इसके बाद ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती होती है। पोस्टल बैलेट की संख्या काफी कम होती है और ये पेपर वाले मत पत्र होने की वजह से इनकी गिनती भी आसानी से होती है।
पोस्टल बैलेट से जुड़ी खास बातें
- पोस्टल बैलेट की सुविधा का लाभ हर किसी को नहीं मिलता है। ये नियम कुछ खास लोगों के लिए ही है।
- इसके लिए चुनाव आयोग की ओर से ईटीपीबीएस सिस्टम का प्रावधान होता है।
- इसमें डाक या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से मत भेजा और एक्सेप्ट किया जाता है।