अक्सर बड़ों से कहते हुए सुना होगा, कि सही फैसले लेना, या सोच-समझकर काम करना। दरअसल ये सही भी है क्योंकि सही फैसले हमारी जिंदगी में कई बदलाव लेकर आते हैं। जैसे सही स्ट्रीम से पढ़ाई करना, सही संस्थान का चुनाव करना, सही इनवेस्टमेंट करना जैसी कई बातें। लेकिन सही फैसले लिया कैसे जाए, इस बात पर ध्यान देना जरूरी होता है।
परफेक्शन के पीछे नहीं डेडीकेशन के पीछे भागें
परफेक्शन हमेशा सही ही नहीं होता है। ऐसा भी हो सकता है कि परफेक्शन आपके लिए फायदेमंद ही हो। क्योंकि परफेक्शनिज्म ऑल-ऑर-नथिंग कन्सेप्ट पर बेस्ड होता है, जो कि गलत है। इससे हर किसी को बचना चाहिए। आप खुद से सवाल पूछे कि वे कौन से निर्णय हैं, जिनसे आपकी प्राथमिकताओं पर सकारात्मक असर होगा।
10/10/10 टेस्ट का रूल
कोई भी निर्णय लेने से पहले उसे लिख कर रख लें कि इससे कौन लोग और कौन-से लक्ष्य प्रभावित होने वाले हैं। अगर असफलता का डर आपको रोककर रखता है तो 10/10/10 टेस्ट ट्राई करें। इससे आर यह जान सकते हैं कि आज से अगले 10 हफ्ते, 10 महीने या 10 साल तक आप उस निर्णय के बारे में क्या सोच रखेंगे।
इंट्यूशन को दें महत्व
अपने इंट्यूशन पर जरूर ध्यान दें। आपका दिमाग सबसे पहले स्थिति को समझने की कोशिश में लग जाता है। फिर आपके तजुर्बों पर सोच की बात आती है। इनके आधार पर ही कोई निर्णय का ख्याल आता है। ऐसे में अपने दिल की जरूर सुनें। रिसर्च कहते हैं कि इंट्यूशन जब एनालायटिकल थिंकिंग के साथ मिलता है तो आप ज्यादा स्मार्ट निर्णय लेने में सक्षम हो जाते हैं।
कुछ निर्णय बाद में ड्ऱॉप कर सकते हैं
एक दिन में आप सौ से ज्यादा छोटे-बड़े निर्णय के बारे में सोचते हैं और लेते भी हैं। जैसे नाश्ते में क्या खाना है, ईमेल का जवाब क्या देना है इस तरह । हर निर्णय में आपकी मानसिक और भावनात्मक काबिलियत का पता लगता है। ऐसे में दिमागी शक्ति बचाने के लिए एक रूटीन तय कर लें। जरूरी नहीं कि निर्णय हटाए ले लिया है तो उन्हें काट-छाट नहीं कर सकते हैं।