Mainpat: यहां है भारत का मिनी तिब्बत, प्रकृति से घिरा ये राज्य 1971 में बना तिब्बती शरणार्थियों का घर!

तिब्बत की खूबसूरती के बारे में पूरी दुनिया जानती है। मध्य एशिया की उच्च पर्वत श्रेणियों, कुनलुन और हिमालय के मध्य स्थित 16000 फुट की ऊँचाई पर स्थित तिब्बत का इतिहास काफी प्राचीन है। लगभग 7वीं-8वीं शताब्दी से ही यहाँ बौद्ध धर्म का प्रचार शुरू हुआ। सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से तिब्बत काफी महत्व रखता है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि भारत के छत्तीसगढ़ में भी एक तिब्बत है जिसे ‘मिनी तिब्बत’ कहा जाता है। 

छत्तीसगढ़ में जिला मुख्यालय अंबिकापुर से 40 किमी की दूरी पर विन्ध्य-बघेलखंड और छोटा नागपुर की पहाड़ियों के बीच में एक सुंदर पर्यटन स्थल है मैनपाट। घने जंगल, हरे-भरे घास के मैदान, झरने बनाती पहाड़ी नदियां सब मनोहारी दृश्य बनाते हैं। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3781 फीट की है, इसलिए मौसम हमेशा ही खुशनुमा रहता है। यहां 12 महीनों में कभी भी जाया जा सकता है। यहां की हरियाली, घाटियां और झरने स्वर्ग का एहसास करवाते हैं। 

मध्यभारत का मिनी तिब्बत ‘मैनपाट’

मैनपाट को मध्य भारत का मिनी तिब्बत कहते हैं, यहां साल 1962-63 में तिब्बत से निर्वासित शरणार्थियों को बसाया गया। हिमाचल में धर्मशाला के बाद मैनपाट तिब्बती लोगों का एक मुख्य केंद्र के रूप में स्थापित है। इस समय तिब्बती लोगों ने मैनपाट को आत्मसात कर लिया है और मछली पालन, खेती, भेड़ पालन से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। यहां तिब्बती शैली में बनी कई मोनेस्ट्रीज पर्यटकों को देखने को मिलेंगी, जिनमें से ताकपो मोनेस्ट्री सबसे खास है। मैनपाट में कई टूरिस्ट अट्रैक्शन्स हैं, जिनमें टाइगर पॉइंट, फिश पॉइंट, जलपरी पॉइंट, घाघी फाल महत्वपूर्ण है। कुछ जगहों पर सीधे गाड़ियां जा सकती है। वहीं कुछ के लिए थोड़ी ट्रैकिंग करनी पड़ेगी। झरनों के अलावा सनराइज और सनसेट के लिए मेहता पॉइंट और परपटिया सनसेट पॉइंट भी काफी सुंदर है। जलजली, तातापानी और ठिनठिनी पत्थर अलग ही अनुभव देते हैं। जलजली में घास के मैदान के ऊपर कूदने पर ट्रम्पोलीन जैसा बाउंस अनोखा है। 


मैग्नेटिक हिल/उल्टा पानी

मैग्नेटिक हिल्स तुरंत दिमाग में लद्दाख की तस्वीर लाती है। ये मैनपाट का मुख्य आकर्षण है मैग्नेटिक हिल और उल्टा पानी पर पर्यटक अपनी गाड़ी बंद करके न्यूट्रल करते हैं, तो वह ऊंचाई की तरफ अपने आप जाती है। यहां पर बहती हुई छोटी नदी की धारा भी ऊपर की ओर बहती हुई दिखाई देती है। असल में मैग्नेटिक हिल जैसी कोई जगह नहीं है बल्कि लैण्डस्केप की वजह से ऐसे डिल्यूशन होता है कि बंद गाड़ी या बहता पानी नीचे से ऊपर की तरफ जा रहा है। 


जोगीमाडा और सीताबेंगरा केव

गुफा को स्थानीय बोलियों में ‘माडा’ या ‘मारा’ कहा जाता है। सीताबेंगरा और जोगीमाडा मैनपाट से 70 किमी दूर स्थित ऐसे स्थान हैं, जहां कुछ प्राकृतिक गुफाएं आकर्षण का केंद्र हैं। सीताबेंगरा का अर्थ है सीता का कमरा। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर वनवास के समय श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मणजी ने कई वर्ष बिताए। यहीं पर लक्ष्मण बेंगरा, रामकुण्ड जैसे स्थल भी हैं। एक और पौराणिक मान्यता है कि महाकवि कालिदास ने अपनी सुप्रसिद्ध रचना ‘मेघदूत’ को यहीं पर सृजित किया था। जोगीमाडा गुफा की अलग-अलग काल की रॉक पेंटिंग भी देखने को मिलेंगी।


टूरिस्ट के लिए जरूरी

मैनपाट पहुंचने के लिए अम्बिकापुर पहुंचना होगा। नजदीकी एयरपोर्ट रायपुर, रांची, गया और वाराणसी हैं। अंबिकापुर में रेलवे स्टेशन भी है, यहां के नजदीकी बड़े स्टेशन अनूपपुर और बिलासपुर हैं।


मैनपाट एक आल वेदर टूरिस्ट डेस्टिनेशन है और यहां किसी भी मौसम में घूमा जा सकता है। मानसून व सर्दियों का समय सबसे खास है। ठहरने के लिए हर बजट के होटल, रिसॉर्ट और कैम्प आसानी से मिल जाते हैं। तो अगर आपको भी मिनी तिब्बत देखना है तो मैनपाट जरूर जाएं।
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Dr. Kirti Sisodia

Content Writer

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