

एमील ज़ोला एक फ्रेंच उपन्यासकार और नाटककार थे, वे दुनिया के बड़े थिंकर्स में से एक माने जाते थे। हाल ही में उनके विचारों के एक बड़े अखबार ने विस्तार से प्रकाशित किया था, जिसमें उन्होंने यात्रा और बौद्धिक विकास के बारे में अपने विचार रखे थे।
यात्रा से जीवन में आते हैं बड़े सकारात्मक बदलाव
यात्रा समझ को विकसित करते हैं। ये भौगोलिक संरचनाओं का भी विकास करते हैं। यात्रा जीवन में बड़े सकारात्मक बदलाव लेकर आते हैं। यात्रा करने वाला व्यक्ति संभावनाओं को बेहतर तरीके से समझता है। अगर ये कहें की यात्रा चहुंमुखी विकास के लिए उत्तरदायी होता है तो ये गलत नहीं होगा।
यात्रा से होता है भौगोलिक विकास
यात्रा पर कई संस्मरण लिखे गए हैं। इनमें विश्व की भौगोलिक अचरज का विस्तार बड़े ही रोचक ढंग से किया गया है। जब यात्राएं नहीं की जाती थी या काफी कम थी तब लोगों को बड़े ऊंचे पहाड़, लंबी नदियां और खूबसूरत जंगल के बारे में कम ही लोगों को पता था, लेकिन अब जब यात्राएं की जाती हैं तब ये किसी सपने से कम नहीं लगते है। लोगों को पता चलता है कि दुनिया में क्या क्या चीजें हैं।
आज दुनिया में मौजूद हर सपना लगने वाली चीजें हकीकत में नजर आती हैं।
बौद्धिक विकास से करती है यात्रा
बौद्धिक विकास के लिए यात्राओं से बेहतर और कुछ भी नहीं है। प्रकृति की असली सुन्दरता उसकी शक्ति का ज्ञान यात्राओं से ही होता है। ऐसे में अगर कोई यात्रा कर रहा है तो उसका बौद्धिक विकास स्वतः ही होता है।
दुख को कम करने में मदद करती है यात्रा
यात्रा संभावनाओं से जुड़ी होती है। हर मुश्किल परिस्थितियों से निकलने में यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति किसी पीड़ा या दुख से गुजर रहा है तो उसे यात्रा करना चाहिए।
प्रकृति के प्रति जिम्मेदारियों का अहसास करवाती है यात्रा
जब आप यात्रा करेंगे तो आप प्रकृति, संस्कृतियों के करीब जायेंगे। आपको ये अहसास होगा की हमारी बायोडायवर्सिटी के ये अभिन्न हिस्सा है। ऐसे में जब आप यात्रा करते हैं तो ये जान पाते हैं कि हमारे लिए क्या जरूरी है।
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