Mindfulness: क्या है? खुश रहने में कैसे करता है मदद?

Mindfulness: आज की भागदौड़ और कॉम्पिटिशन से भरी लाइफस्टाइल में अगर हमें कुछ ऐसी थैरिपी मिल जाए जिससे हम अपने मन और दिमाग की उलझनों को सुलझा सकें, तो हमारे लिए हर तरह की परेशानियों को मैनेज करना आसान हो जाएगा। ‘माइंडफुलनेस’ एक ऐसा ही तरीका है जो हमें अपने पास्ट और फ्यूचर की चिंता ना करते हुए वर्तमान में जीना सिखाता है। माइंडफुलनेस को विस्तार से समझिए और इसे जीवन में शामिल कर सकारात्मक रहिए।

क्या है माइंडफुलनेस?

माइंडफुलनेस एक तरह की मेडिटेशन थेरेपी है। लेकिन जैसा की सामान्यतौर पर मेडिटेशन के लिए हम समय और जगह तय करके खुद को ध्यान लगाने के लिए तैयार करते हैं। लेकिन माइंडफुलनेस में हम जिस  समय जिस लम्हे को जी रहे होते हैं अपना पूरा ध्यान वहीं लगाते हैं। इसमें प्रेजेंट सिचुएशन में हम जिस काम को कर रहे हैं उसी काम में अपना पूरा मन और ध्यान लगाने पर जोर देते हैं। वर्तमान में किए जा रहे काम पर पास्ट या फ्यूचर के किसी भी घटना या सोच का असर नहीं पड़ना चाहिए।

माइंडफुलनेस से क्या होगा?

‘खुशी’ जो जीवन का अल्टिमेट लक्ष्य होता है, माइंडफुलनेस का सबसे बड़ा फायदा यही है। माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस करने वाले लोग हमेशा खुश रहना सीख जाते हैं। क्योंकि माइंडफुलनेस हमें वर्तमान में सहजता से जीना सिखा देता है। इसके बाद हम यह सोचना बंद कर देते हैं कि हमने जो सोचा था वो नहीं हुआ अगर होता तो कितना अच्चा होता। मन में यह डर भी नहीं आता की आने वाले समय में ऐसा होगा तो क्या होगा। माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस से दिमाग धीरे-धीरे वर्तमान को स्वीकार कर उसमें खुश रहना सीख जाता है।

कैसे करें माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस?

माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस करना बहुत आसान है। इसके लिए आप कुर्सी पर या जमीन पर कमर बिल्कुल सीधी करके बैठ जाएं और इन स्टेप्स को फॉलो करें-

सांस पर ध्यान लगाएं- कम से कम 10 मिनट अपनी सांस पर ध्यान लगाएं। सांस को अपने अंदर आते-जाते महसूस करें। सांसों की आवाज सुनें और पेट पर हाथ रखकर महसूस करें कि कैसे सांस लेने पर पेट बाहर आता है और सांस छोड़ते वक्त पेट अंदर की तरफ जाता है। शुरुआत में ध्यान भटके तो फिर से सांसों पर केंद्रित करें।

ध्यान देकर सुनना- अपनी आस-पास की आवाजों को ध्यान से सुनें। ध्यान दें कि किस-किस तरफ से कैसी-कैसी आवाजें आ रही है। ध्यान दें कि कौन सी आवाज धीमी है कौन सी तेज। किस तरह की आवाज सुरीली है कौन सी नहीं। हर तरह की आवाज को एक्सेप्ट करें। किसी भी आवाज के ना होने की बात ना सोचें।

ध्यान से देखें- अपने आस-पास की चीजों को ध्यान से देखें। यहां भी अच्छे या बुरे का फैसला ना करें। देखें आसपास कौन-कौन सी चीज है। किसका रंग क्या है, कौन सी चीज नरम है कौन सी खुरदुरी, कौन सी चीज छोटी है कौन सी बड़ी। सभी चीजों को स्वीकार करें।

विचारों पर ध्यान दें– माइंडफुलनेस के दौरान भी आपका मन चंचल हो सकता है। लेकिन मन पर जोर ना डालें कि वो एक जगह ही स्थिर रहे। मन में विचारों को आने-जाने दें। ध्यान दें कि आपके मन में क्या-क्या विचार आ रहे हैं।

बॉडी स्ट्रेच करें- खड़े हो जाएं और अपने हाथो को ऊपर की तरफ स्ट्रेच करें। उंगलियों से लेकर कंधे तक खिंचाव महसूस करें। जमीन या कुर्सी पर बैठे-बैठे पैरों को सामने की तरफ खींचें और फिर पैरों के पंचे से टखनों तक अपना ध्यान केंद्रित करें।

माइंडफुलनेस के फायदे

माइंडफुलनेस एक तरह का मेडिटेशन है इससे जीवन में कई पॉसिटिव बदलाव आते हैं जैस-
1. मन स्ट्रेस फ्री रहने लगता है

2. याददास्त तेज होती है

3. कॉन्सनट्रेशन बढ़ता है

4. इमोशनली स्टैबिलिटी आती है

5. हर वक्त खुशी का अहसास होता है

6. गुस्सा कम होता चला जाता है

8. किसी व्यक्ति और परिस्थितियों को समझने की क्षमता बढ़ती है

9. सही फैसला लेने में सक्षम होते हैं

10. पर्याप्त और अच्छी नींद आती है

Positive सार

माइंडफुलनेस एक बहुत ही सकारात्मक प्रैक्टिस है जिसके बाद हम खुश रहने के लिए परिस्थितियों के बदलन का इंतजार नहीं करते। बल्की वर्तमान की परिस्थियों में ही खुश रहने लग जाते हैं। यह हमें स्ट्रेस को मैनेज करने में भी मदद करता है। माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस कर हम आसानी से अपनी उलझनो को सरल कर सकते हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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