Solar Power Plant: छत्तीसगढ़ में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक नई योजना बनाई है। अब राज्य के हाउसिंग सोसाइटियों को सोलर ऊर्जा से रोशन करने की तैयारी की जा रही है। ये काम राज्य ऊर्जा अक्षय विकास अभिकरण यानी क्रेडा को सौंपा गया है। इसके लिए क्रेडा के अधिकारियों ने रेसिडेंशियल सोसाइटियों का सर्वे भी शुरु कर दिया है। इस योजना में आने वाला खर्च सोसाइटी और रेस्को यानी रिन्यूएबल एनर्जी सर्विस कंपनी मिलकर वहन करेंगे।
रेस्को और कैपेक्स योजनाएं होंगी लॉन्च
सोलर से बिजली देन के लिए राज्य सरकार दो तरह की योजनाएं लॉन्च करेगी। पहला रेस्को और दूसरा कैपेक्स। कैपेक्स मॉडल के तहत दी गई सोलर बिजली लगाने का पूरा खर्च सोसाइटी वहन करेगी। और रेस्को मॉडल के तहत वेंडर पूरा काम करेगा और पूरा सिस्टम लगाकर देगा। इसके बाद कॉलोनी के लोग इनसे मिनिमम रेट पर बिजली खरीदेंगे। ये काम राज्य की सभी कॉलोनियों को पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी से जोड़ने के लिए किया जा रहा है।
क्या होता है रेस्को मॉडल?
रिन्यूएबल एनर्जी सर्विस कंपनी यानी रेस्को मॉडल में पहले सोसायटी में होने बाली बिजली की खपत का आंकलन किया जाएगा। फिर उसके हिसाब से उनती पॉवर की सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा। इसमें आने वाले शुरुआती खर्च रेस्को खुद वहन करता है। बाद में सोलर से प्रोड्यूज की गई बिजली को कम कीमत पर सोसायटी खरीदती है। कुछ समय के बाद पूरा पॉवर प्लांट सोसायटी को सौंप दिया जाता है।
कैपेक्स मॉडल में क्या होता है?
कैपेक्स मॉडल यानी कैपिटल एक्सपेंडिचर मॉडल में सोसाइटी खुद सोलर प्लांट लगाने का खर्च देगी। इसमें मालिकाना हक भी सोसाइटी का ही होगा।
हर महीने 90 हजार तक होगी बचत
रेस्को मॉडल में 100 किलोवॉट का सोलर प्लांट लगाया जाता है। इससे हर महीने 90 हजार रुपए तक की बचत हो सकती है। वहीं कैपेक्स माडल से 1 लाख 13 हजार रुपए तक की बचत हो सकती है। अगर 100 किलोवॉट क्षमता का प्लांट लगाना हो तो 800 से 850 वर्ग फीट जगह होना चाहिए। आपको बता दें केंद्र सरकार ने सोलर एनर्जी के जरिए 2030 तक देश में 500 बिलियन वॉट बिजली उत्पादन करने का लक्ष्य तय किया है।
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