Shree Anna Yojna: भारत के पारंपरिक खानपान का अभिन्न हिस्सा मोटा अनाज (श्री अन्न) न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, बल्कि यह पोषण और स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। 8000 साल पुराने इतिहास वाले इस अनाज को सुपरफूड के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह प्रोटीन, फाइबर, आयरन, कैल्शियम और विटामिन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। जलवायु परिवर्तन और सीमित संसाधनों के युग में, इसकी खेती किसानों के लिए लाभदायक और टिकाऊ विकल्प साबित हो सकती है।
श्री अन्न योजना का उद्देश्य
भारत सरकार ने 2023 में श्री अन्न योजना की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को मोटे अनाज की खेती के प्रति प्रोत्साहित करना है। इस योजना के तहत,
- किसानों को परंपरागत खेती से अलग विकल्प देने और प्राकृतिक आपदाओं व बाजार अस्थिरता से बचाव करना।
- इन अनाजों को भारतीय आहार का नियमित हिस्सा बनाकर पोषण संबंधी समस्याओं का समाधान करना।
- किसानों को उन्नत खेती तकनीकों और उत्पादन विधियों से परिचित कराना।
- श्री अन्न योजना के तहत किसानों को लाभ
वित्तीय सहायता
- किसानों को अनुदान और सब्सिडी प्रदान की जाती है।
- उन्नत बीज, सिंचाई उपकरण, और अन्य कृषि साधनों पर विशेष आर्थिक मदद दी जाती है।
- किसानों को उन्नत तकनीकों का प्रशिक्षण देकर उत्पादकता बढ़ाने में मदद की जाती है।
- प्रोसेसिंग यूनिट्स और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा के साथ विपणन नेटवर्क का विस्तार किया गया है।
- किसानों को उनके उत्पादों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने हेतु बाजार तक सीधी पहुंच दी जाती है।
- प्राकृतिक आपदाओं से फसल के नुकसान की भरपाई के लिए बीमा कवर प्रदान किया जाता है।
आवेदन प्रक्रिया: सरल और ऑनलाइन
- श्री अन्न योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया को बेहद सरल बनाया गया है।
- राज्य कृषि विभाग या सरकारी पोर्टल से आवेदन पत्र डाउनलोड कर इसे भरें।
- निकटतम कृषि सेवा केंद्र जाकर आवेदन पत्र प्राप्त करें और जमा करें।
- आवेदन की समीक्षा के बाद किसानों को योजना के लाभ प्रदान किए जाएंगे।
- योजना का लाभ उठाने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:
आधार कार्ड
कृषि भूमि का दस्तावेज़
बैंक खाता विवरण
पासपोर्ट साइज फोटो
जमीन की पैमाइश का प्रमाण
वोटर ID या पैन कार्ड
किसानों और देश के लिए लाभदायक पहल
श्री अन्न योजना किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ पोषण सुरक्षा को भी सुनिश्चित करती है। यह योजना न केवल कृषि क्षेत्र में एक क्रांति लाने की क्षमता रखती है, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील खेती के माध्यम से भारत को खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी बनाएगी। भारतीय आहार में मोटे अनाज की वापसी एक स्वस्थ और सतत जीवनशैली की ओर महत्वपूर्ण कदम है।