PM Awas Yojana: भारत सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana – Urban) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नीतियाँ जब जमीनी हकीकत से जुड़ती हैं, तो वे करोड़ों ज़िंदगियाँ बदल सकती हैं। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 25 अगस्त 2025 तक 1.2 करोड़ घरों को मंजूरी दी जा चुकी है, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
यह योजना सिर्फ “छत” देने का वादा नहीं, बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण, महिला भागीदारी और सामाजिक सम्मान का प्रतीक बन गई है।
75% घरों का निर्माण पूरा-SBI
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक स्वीकृत घरों में से 75% घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। यानी लाखों परिवार अब अपने पक्के घर का सपना साकार कर चुके हैं।
डॉ. सौम्य कांति घोष, एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार, ने कहा कि-“अधिकांश राज्यों की प्रगति 75% या उससे अधिक है, जबकि आंध्र प्रदेश, बिहार और हरियाणा जैसे राज्यों में यह दर 60% से कम है।”
इससे साफ है कि देशभर में योजना का क्रियान्वयन तेज़ी से हो रहा है और नीति का लाभ संतुलित रूप से हर राज्य तक पहुँच रहा है।
नई उम्मीदों का नया दौर
1 सितंबर 2024 को शुरू हुई PMAY-U 2.0 योजना का उद्देश्य है,
- 1 करोड़ पात्र शहरी परिवारों को केंद्रीय सहायता देकर उन्हें बेहतर आवास और जीवन स्तर प्रदान करना।
- यह योजना EWS (Economically Weaker Section), LIG (Low Income Group) और MIG (Middle Income Group) परिवारों को शामिल करती है, जिनके पास भारत में कहीं भी पक्का घर नहीं है।
- अब हर पात्र परिवार अपना घर खरीद या निर्माण कर सकता है, और इसके लिए सरकार सब्सिडी वाले ऋण की सुविधा दे रही है।
हर राज्य तक पहुंचा लाभ
SBI की रिपोर्ट के मुताबिक, Normalized Shannon Entropy Score 0.84 है, इसका मतलब है कि आवास निर्माण का लाभ राज्यों में समान रूप से बाँटा जा रहा है। यहां तक कि कम आय वाले राज्य भी सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। इस संतुलित वितरण से यह साबित होता है कि PM Awas Yojana केवल शहरों का नहीं, बल्कि पूरे भारत का विकास अभियान बन चुकी है।
घर के साथ आई आर्थिक स्वतंत्रता
एसबीआई रिपोर्ट का सबसे दिलचस्प हिस्सा यह है कि प्रधानमंत्री आवास योजना का सीधा प्रभाव घरेलू खर्च और वित्तीय व्यवहार पर पड़ा है।
रिपोर्ट कहती है —
“सबसे कम खर्च करने वाले परिवारों में भी डेबिट कार्ड से खर्च बढ़ा है, जो इस बात का संकेत है कि सब्सिडी वाले आवास ऋण ने उन्हें अधिक वित्तीय स्वतंत्रता दी है।” यानी अपना घर मिलने से लोगों का आत्मविश्वास और खर्च करने की क्षमता दोनों बढ़ी हैं। इसके अलावा, UPI लेनदेन और विवेकाधीन खर्च (Discretionary Spending) में भी वृद्धि दर्ज की गई है, खासकर महिला उधारकर्ताओं के बीच, जिससे महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह योजना अहम भूमिका निभा रही है।
शहरी विकास में नया मोड़
प्रधानमंत्री आवास योजना न केवल घर दे रही है, बल्कि यह शहरी भारत के विकास का इंजन बन चुकी है।
इस योजना के ज़रिए,
- स्थानीय रोजगार बढ़ा है
- निर्माण क्षेत्र (Construction Sector) में स्थिरता आई है
- छोटे शहरों में आर्थिक गतिविधियों को नया प्रोत्साहन मिला है
यह भारत को “Housing for All” के लक्ष्य के करीब ले जा रही है, जहाँ हर नागरिक के सिर पर पक्की छत होगी।
हर घर की एक नई कहानी
प्रधानमंत्री आवास योजना ने यह साबित किया है कि सरकारी नीतियाँ जब समावेशी दृष्टिकोण से लागू होती हैं, तो वे केवल आंकड़े नहीं, बल्कि आशा और सम्मान की कहानियाँ गढ़ती हैं।
1.2 करोड़ घरों की मंजूरी केवल एक संख्या नहीं, बल्कि यह 1.2 करोड़ सपनों के पूरे होने की कहानी है, जहाँ हर घर भारत के विकास की नींव का हिस्सा बन गया है। भारत अब सिर्फ घर नहीं बना रहा, बल्कि भविष्य की मजबूत बुनियाद तैयार कर रहा है, आत्मनिर्भर, सशक्त और समावेशी।