National Critical Minerals Mission : भारत सरकार ने नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स (Critical Minerals) मिशन लॉन्च किया । इस मिशन में भारत को स्पेशल खनिज संसाधनों की जरुरत के लिए आत्मनिर्भरता बनाया जायेगा । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस मिशन को प्रारंभ करने का महत्त्वपूर्ण फैसला लिया गया ।
नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन (NCMM) के तहत 34,300 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और तकनीकी नवाचार के जरिए, भारत भविष्य में अपनी खनिज आपूर्ति को मजबूत कर सकता है।
मिशन के जरिए नई तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाने और खनिज संसाधनों के कुशल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना है ।
इस आर्टिकल को पढने पर आप समझ पाएंगे इस मिशन की क्या जरुरत है और इसके परिणामस्वरूप भारत खनिज उत्पादन में वैश्विक स्तर क्या भूमिका निभा सकेगा?
क्या है क्रिटिकल मिनरल्स ?
क्रिटिकल मिनरल्स (Critical Minerals) वे खनिज होते हैं जिनकी आपूर्ति सीमित होती हैं इसलिए इनका आयात दूसरे देशों से किया जाता है। ये खनिज आमतौर पर तकनीकी, ऊर्जा, और रक्षा संबंधित क्षेत्रों में उपयोग किए जाते हैं और इनका इस्तेमाल प्रमुख उत्पादों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरियां, हवाई जहाज, और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण में होता है।
क्रिटिकल मिनरल्स का प्रयोग ?
क्रिटिकल मिनरल्स की कमी होने पर किसी देश की आर्थिक और तकनीकी शक्ति प्रभावित हो सकती है, क्योंकि कई उद्योग इन पर निर्भर होते हैं। जैसे –
- लिथियम (Lithium) – बैटरियों के लिए उपयोगी, खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) में।
- कोबाल्ट (Cobalt) – बैटरियों और इलेक्ट्रॉनिक्स में इस्तेमाल होता है
- निकल (Nickel) – स्टील और बैटरियों में
- ग्रेफाइट (Graphite) – इलेक्ट्रॉनिक्स और बैटरियों के लिए
- रेयर्नियम (Rhenium) – एरोस्पेस और रक्षा उद्योगों में
- तांबा (Copper) – ऊर्जा उत्पादन, ट्रांसमिशन और इलेक्ट्रॉनिक्स में
नेशनल क्रिटिकल मिशन से लाभ
यह मिशन वास्तव में भारत के खनिज संसाधनों की क्षमता को मजबूत करने के लिए एक निर्णायक कदम साबित हो सकता है। 2030-31 तक विदेशों में 50 खदानों की खरीद, प्रोसेसिंग और रीसाइक्लिंग सुविधाओं का निर्माण, ये सब भारत को खनिज आपूर्ति की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में महत्वपूर्ण स्थान दिलाने की दिशा में बड़े कदम हैं। इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि खनिजों की कच्ची सामग्री और उससे बने उत्पादों के लिए भारत एक मजबूत आपूर्ति शृंखला स्थापित कर सकेगा।
इसके अलावा, प्रोसेसिंग और रीसाइक्लिंग की सुविधाओं का निर्माण पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे खनिजों के पुनः उपयोग को बढ़ावा मिलेगा और प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सकेगा। अगर भारत यह ढांचा तैयार करने में सफल रहता है, तो न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि वैश्विक खनिज बाजार में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
Positive सार
मिशन से सीमित खनिजों के आयात पर देश की निर्भरता कम होगी, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा। ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजी के लिए प्रयोग में आने वाले ये मिनरल्स भविष्य के भारत को अधिक आत्मनिर्भर बनायेंगे।