Bijapur collector: जहां तक अब तक कोई अफसर नहीं पहुंचा था, वहां तक पहुंचने की मिसाल पेश की है बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा ने। उन्होंने नक्सल प्रभावित भैरमगढ़ ब्लॉक के सुदूर बांगुली गांव तक पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर पैदल यात्रा की और इंद्रावती नदी को पार कर ग्रामीणों से मुलाकात की। उनकी यह यात्रा केवल एक निरीक्षण नहीं थी, बल्कि जनसेवा और प्रशासनिक समर्पण का जीवंत उदाहरण बन गई।
विकास की नई राह तक
कलेक्टर संबित मिश्रा 11 अक्टूबर को अपनी प्रशासनिक टीम के साथ नव स्थापित सुरक्षा कैम्प बांगुली पहुंचे। यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें घने जंगलों और नदी का रास्ता तय करना पड़ा, लेकिन उन्होंने किसी कठिनाई की परवाह नहीं की। उनका कहना था “सुरक्षा कैम्प सिर्फ सुरक्षा का प्रतीक नहीं, बल्कि विकास के द्वार खोलने की शुरुआत है।”
ग्रामीणों ने जब सुना कि कलेक्टर खुद पैदल चलकर उनके गांव पहुंचे हैं, तो पूरे क्षेत्र में उत्साह फैल गया। लोगों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि “अब शासन सचमुच हमारे दरवाजे तक पहुंच रहा है।”
नियद नेल्लानार योजना से हो रहा विकास
कलेक्टर मिश्रा ने बताया कि प्रशासन और सुरक्षा बलों के समन्वय से अब इंद्रावती पार के गांवों में ‘नियत नेल्लानार योजना’ के तहत तेजी से विकास कार्य चल रहे हैं। उन्होंने ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की जानकारी दी और भरोसा दिलाया कि अब शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और आजीविका जैसी मूलभूत सुविधाएं हर घर तक पहुंचेंगी।
इस मौके पर उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी गांव में सुविधाओं के विस्तार में लापरवाही न हो, क्योंकि यह क्षेत्र अब विकास की नई कहानी लिखने जा रहा है।
आंगनबाड़ी से लेकर आवास योजना तक
निरीक्षण के दौरान जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) ने ग्रामीणों से संवाद करते हुए बताया कि पीएम आवास योजना के तहत पात्र परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
साथ ही, बांगुली गांव में बने नवीन आंगनबाड़ी भवन से बच्चों को पोषण और प्रारंभिक शिक्षा की बेहतर सुविधा मिलेगी।
ग्रामीणों ने कहा कि कलेक्टर मिश्रा के इस दौरे ने उनमें नई ऊर्जा और विश्वास जगाया है कि शासन अब सचमुच अंतिम छोर तक विकास पहुंचाने के लिए गंभीर है।
विकास अब जंगलों के पार
कलेक्टर संबित मिश्रा का यह दौरा न केवल प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि प्रतीकात्मक रूप से यह संदेश देता है कि विकास अब जंगलों और नदियों के पार तक पहुंच रहा है। उनका यह समर्पण दिखाता है कि जब नेतृत्व जमीनी हकीकत समझकर कार्य करता है, तो परिवर्तन की राह अपने आप बन जाती है।
बांगुली गांव की यह यात्रा एक प्रेरणादायक उदाहरण है, कि अगर इरादा मजबूत हो तो नक्सल प्रभावित इलाकों में भी शासन की रोशनी पहुंचाई जा सकती है। कलेक्टर संबित मिश्रा का यह कदम अब प्रशासनिक कार्यशैली के नए मानक के रूप में देखा जा रहा है। जहां अफसर सिर्फ आदेश नहीं देते, बल्कि खुद जनता के बीच जाकर बदलाव की शुरुआत करते हैं।