Bihan Yojana: छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी अब सिर्फ चूल्हा-चौका तक सीमित नहीं रही। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत शुरू की गई बिहान योजना ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया है। इस योजना की वजह से महिलाएं खुद का बिज़नेस शुरू कर रही हैं और गांव में एक नई पहचान बना रही हैं।
सरिता की दुकान से बदली ज़िंदगी
बिलासपुर जिले के कोटा ब्लॉक के ग्राम चपोरा की सरिता जायसवाल की कहानी कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है। पहले आर्थिक संकट से जूझ रही सरिता ने प्रज्ञा समूह से जुड़कर बिहान योजना के तहत सहायता ली और एक बर्तन और फर्नीचर की दुकान शुरू की।
सरिता बताती हैं, “पहले बच्चों की पढ़ाई भी मुश्किल थी, लेकिन अब मैं उन्हें अच्छी शिक्षा दे पा रही हूं। ये सब बिहान योजना की वजह से संभव हुआ है।”
‘लखपति दीदी’ बनी संतोषी
ग्राम कर्रा की संतोषी ने भी बिहान योजना का लाभ उठाकर अपनी ईंट निर्माण इकाई शुरू की। शुरुआत में कई दिक्कतें आईं, लेकिन शारदा समूह से मिली आर्थिक मदद और योजना के आत्मविश्वास से उन्होंने हार नहीं मानी।
आज संतोषी को लोग ‘लखपति दीदी’ के नाम से जानते हैं। वो खुद के लिए ही नहीं, बल्कि गांव की दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं।
आत्मनिर्भरता का मंत्र
आज छत्तीसगढ़ के हर ब्लॉक और गांव में महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के जरिए बिज़नेस कर रही हैं। कोई सिलाई-कढ़ाई कर रही है, कोई मसाले बना रही है, कोई ब्यूटी पार्लर चला रही है। बिहान योजना ने हर महिला के भीतर छुपे टैलेंट को मंच दिया है।
सरकार की पहल रंग ला रही
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और राज्य सरकार की निगरानी में बिहान योजना गांव की महिलाओं के लिए वरदान बन गई है। महिला सशक्तिकरण के इस सफर में राज्य सरकार की निरंतर कोशिशों ने ग्रामीण समाज की दिशा ही बदल दी है।
महिलाओं से बदलेगा गांव और राज्य
बिहान योजना की वजह से महिलाएं न सिर्फ अपने परिवार को संभाल रही हैं, बल्कि गांव की तरक्की में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। यह बदलाव एक नई उम्मीद का प्रतीक है और आने वाले समय में ये महिलाएं पूरे छत्तीसगढ़ के विकास की धुरी बनेंगी।