No Detention Policy for 5th & 8th students: केंद्र सरकार ने “नो डिटेंशन पॉलिसी” को खत्म करने का बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत कक्षा 5वीं और 8वीं में फेल होने वाले छात्रों को अब अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2019 में संशोधन किया गया, जिसके बाद नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का निर्णय लिया गया। पहले की नीति के अनुसार, फेल होने वाले छात्रों को बिना परीक्षा के परिणाम के अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था, लेकिन अब यह व्यवस्था समाप्त हो गई है।
नो डिटेंशन पॉलिसी (No Detention Policy) क्या है?
नो डिटेंशन पॉलिसी का उद्देश्य फेल हुए छात्रों को स्कूल में अगली क्लास में प्रमोट करना था। इसका मतलब था कि कक्षा 5वीं और 8वीं में छात्रों को बिना परीक्षा के परिणाम के अगले कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था, भले ही उन्होंने कक्षा के लिए आवश्यक न्यूनतम अंक न प्राप्त किए हों। यह नीति 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के तहत लागू की गई थी, ताकि बच्चों को शिक्षा की प्रक्रिया में तनावमुक्त और निराशा से बचाया जा सके।
नो डिटेंशन पॉलिसी का अंत: शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2019 में संशोधन
शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके बाद नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद से अब कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्र यदि परीक्षाओं में फेल होते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। हालांकि, छात्रों को दो बार परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा। पहले अवसर पर फेल होने पर, उन्हें सुधार परीक्षा देने का अवसर मिलेगा, यदि फिर भी वे पास नहीं हो पाते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रिटेन किया जाएगा।
फेल छात्रों के लिए दो बार परीक्षा
- दोबारा परीक्षा का अवसर: फेल होने वाले छात्रों को दो महीने के अंदर एक और अवसर दिया जाएगा, जिसमें वे सुधार परीक्षा में बैठ सकते हैं।
- फिर भी फेल होने पर: यदि छात्र दूसरी बार भी फेल हो जाते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा और उन्हें उसी कक्षा में रहकर फिर से पढ़ाई करनी होगी।
राज्य सरकारें अपना निर्णय ले सकती है
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने का नियम केवल केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्कूलों जैसे कि केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों पर लागू होगा। स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, और राज्य सरकारें इस मामले में अपना निर्णय ले सकती हैं।
पहले ही 16 राज्य और दिल्ली सहित 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है, और अब वे केंद्रीय निर्णय से अलग अपने राज्य के स्कूलों में लागू कर सकते हैं।
Positive सार
यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव है, जो छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसका उद्देश्य छात्रों की सीखने की गुणवत्ता और परिणामों को बेहतर बनाना है।